Champaner pavagadh Archaeological Park: ‘अनूठी सीढ़ियों वाला तालाब’
punjabkesari.in Tuesday, Jul 13, 2021 - 09:54 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Champaner pavagadh Archaeological Park: हम आपको एक ऐसे तालाब से परिचित कराएंगे जो देश के उस राज्य में स्थित है जिसने सभी को ‘बावड़ी परम्परा’ से अवगत कराया। ‘चंपानेर’ शहर पूर्वी गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि चंपानेर देश के ऐतिहासिक दृष्टि से महत्व रखने वाले शहरों की श्रेणी में शामिल है। यहीं पर स्थित है ‘चंपानेर पावागढ़ आर्कियोलॉजिकल पार्क’ जिसे यूनेस्को द्वारा वर्ष 2004 में विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया था। इस शहर में किले, मंदिर एवं मस्जिद समेत घूमने लायक कई जगह हैं जिसमें से एक है ‘हैलिकल वाव’। इसे ‘स्फैरिकल वाव’ के नाम से भी जाना जाता है।
Who built the Champaner Pavagadh Archaeological Park: ऐसा माना जाता है कि इस बावड़ी का निर्माण 16वीं शताब्दी में करवाया गया था। ‘हैलिकल वाव’ चंपानेर पावागढ़ आर्कियोलॉजिकल पार्क में स्थित है और यहां के मुख्य आकर्षण केंद्रों में से एक है। यह पहली नजर में एक कुआं होने का भ्रम दे सकती है क्योंकि इसका स्वरूप वाकई कुएं से मिलता-जुलता ही है परन्तु इसमें नीचे उतरने के लिए कुंडलित सीढिय़ां (सर्पिल जैसी सीढिय़ां) बनी हुई हैं। प्रत्येक सीढ़ी की चौड़ाई लगभग 1.5 मीटर है। इसका यह रूप एवं आकार ही इसे देश की अन्य बावड़ियों से भिन्न बनाता है। इसकी खासियत ही यह है कि यह अन्य बावड़ियों की तरह चौकोर न होकर गोल है। बावड़ी में सबसे ऊपर से ही एक तरफ से इसकी सीढ़ियां शुरू हो जाती हैं और इन सीढिय़ों की सहायता से पानी के सबसे निचले तल तक पहुंचा जा सकता है।
Helical vav: वैसे तो आप यहां साल भर कभी भी और किसी भी दिन घूमने जा सकते हैं लेकिन मानसून का समय यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा बताया जाता है। मानसून के समय एक तो इस बावड़ी का जल स्तर ऊपर आ जाता है एवं इस समय आप यहां की हरियाली का भी भरपूर आनंद उठा सकते हैं। यहां इस बावड़ी के अलावा कई बड़े-बड़े तालाब और कुएं भी हैं, जिसे देखकर पता लगता है कि चंपानेर का जल प्रबंधन उच्च कोटि का एवं अपने समय से कहीं आगे का था। आप यदि घूमने के शौकीन हैं और ऐतिहासिक इमारतें आपको आकर्षित करती हैं तो चंपानेर अवश्य जाना चाहिए और साथ ही साथ ‘हैलिकल वाव’ देखकर खुद को अपने देश के जल समृद्ध इतिहास से रू-ब-रू कराना चाहिए।
Helical stepwell: आज मनुष्य विज्ञान के क्षेत्र में नई-नई ऊंचाइयों को छू रहा है लेकिन एक पहलू जिसे वह छोड़ता ही जा रहा है वह है पर्यावरण और प्रकृति। आज की तकनीक से लैस सभ्यता ने यह सिद्ध कर दिया है कि मनुष्य हर घर तक पानी पहुंचाना सीख गया है लेकिन उस पानी को संरक्षित करना नहीं सीख पाया है।
Gujarat Tourism: इस धरती के प्रत्येक मानव को यह समझने की आवश्यकता है कि जब जल खत्म हो जाएगा तब घरों के नल भी निरर्थक ही होंगे। यदि आधुनिक मनुष्य ने जल की अहमियत समझी होती तो शायद इस गंभीर जल संकट का सामना नहीं करना पड़ता। हमारे पूर्वजों ने जल के महत्व को समझा था और इसलिए धरती के जल का दोहन करने की जगह वर्षा जल संचयन का रास्ता चुना जिसका परिणाम आप चंपानेर ‘हैलिकल वाव’ जैसी सुंदर और अद्भुत बावड़ियों के रूप में हमारे सामने है।
(‘जल चर्चा’ से साभार)