चैत्र मास की अमावस्या का होता है ये धार्मिक महत्व

punjabkesari.in Monday, Mar 23, 2020 - 12:25 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वैसे तो हर महीने में आने वाली अमावस्या तिथि का अपना महत्व होता है। लेकिन चैत्र अमावस्या का महत्व शास्त्रों में बेहद खास बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन से हिंदूओं का नववर्ष शुरू हो जाता है और साथ ही इस दिन के बाद मां दुर्गा के 9 दिनों लगातार चलने वाले नवरात्रि का भी आंरभ हो जाता है। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। अगर आपके घर में पितर दोष की वजह से किसी तरह की समस्या चल रही हो तो इस दिन उपाय व विधि से पूजन करने पर दूर हो जाती है। बता दें कि शास्त्रों में इस दिन का धार्मिक महत्व बताया गया है, आइए जानते हैं।  
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महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि पित्तरों के दर्पण के लिए समर्पित होती है, इसलिए इस दिन पित्तरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास भी रखा जाता है, खासकर जो लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं उनके लिए अमावस्या व्रत इस दोष के निवारण के लिए महत्वपूर्ण होता है। वहीं अन्य माह की अमावस्या के समान चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
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ज्योतिषीय महत्व
अमावस्या तिथि के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। जहां सूर्य आग्नेय तत्व को दर्शाता है तो वहीं चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। सूर्य के प्रभाव में आकर चंद्रमा का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिए मन को एकाग्रचित करने का यह कारगर दिन होता है। इसलिए अमावस्या का दिन आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ होता है। अमावस्या को जन्म लेने वाले की कुंडली में चंद्र दोष होता है। 
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हिंदू वर्ष का अंतिम दिन
चैत्र अमावस्या विक्रम संवंत वर्ष का अंतिम दिन होता है। विक्रम संवंत को आम भाषा में हिंदू कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र अमावस्या तिथि की समाप्ति के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आती है जो हिंदू वर्ष का पहला दिन होता है। कहते हैं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। 


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