Brahma Dev story: ब्रह्मा जी के ये वरदान कर सकते हैं आपको भी Famous

punjabkesari.in Tuesday, Sep 12, 2023 - 08:08 AM (IST)

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Brahma Dev story: ब्रह्मा जी ने एक बार मनुष्य को अपने पास बुलाकर पूछा, ‘‘तुम क्या चाहते हो?’’

मनुष्य ने कहा, ‘‘मैं उन्नति करना चाहता हूं, सुख-शांति चाहता हूं और चाहता हूं कि सब लोग मेरी प्रशंसा करें।’’

ब्रह्मा जी ने मनुष्य के सामने दो थैले रख दिए और बोले, ‘‘इन थैलों को ले लो। इनमें से एक थैले में तुम्हारे पड़ोसी की बुराइयां भरी हैं। उसे पीठ पर लाद लो। उसे सदा बंद रखना। न तुम देखना, न दूसरों को दिखाना।’’

‘‘दूसरे थैले में तुम्हारे दोष भरे हैं। उसे सामने लटका लो और बार-बार खोल कर देखा करो। अपने दोषों पर सदा दृष्टि रखो।’’

मनुष्य ने दोनों थैले उठा लिए लेकिन उससे एक भूल हो गई। उसने अपनी बुराइयों का थैला पीठ पर लाद लिया और उसका मुंह कसकर बंद कर दिया। अपने पड़ोसी की बुराइयों से भरा थैला उसने सामने लटका लिया। उसका मुंह खोल कर वह उसे देखता रहता और दूसरों को भी दिखाता रहता। इससे उसने जो वरदान मांगे थे, वे भी उलटे हो गए। उसका पतन होने लगा। उसे दुख और अशांति मिलने लगी। सब लोग उसे बुरा बताने लगे।

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देव, मनुष्य तथा असुर
देव, मनुष्य तथा असुर तीनों ब्रह्मा जी के पास पहुंचे तथा उनसे कल्याणकारी उपदेश देने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं तीनों के लिए ‘द’ अक्षर मंत्र प्रदान करता हूं।’’

‘द’ अक्षर मंत्र को न समझ पाने के कारण तीनों एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। ब्रह्मा जी ने देवों से कहा, ‘‘देवों के लिए अहंकार सबसे अधिक घातक होता है।’’

‘‘अत: ‘द’ अक्षर में तुम्हारे लिए संदेश छिपा है, इंद्रियों के अहंकार आदि दोषों का दमन करना।’’

उन्होंने मनुष्य को समझाते हुए कहा, ‘‘मानव को निरंतर सेवा तथा परोपकार में तत्पर रहना चाहिए। तुम्हारे लिए ‘द’ का अर्थ है निरंतर देते रहना।’’

‘‘सेवा और परोपकार के कार्यों में तन-मन और धन से सहयोग देते रहना ही मानव का धर्म है।’’

इसके बाद उन्होंने असुरों को भी ‘द’ का रहस्य समझाते हुए बताया, ‘‘असुर तामसी वृत्ति के कारण कहीं क्रूर न बन जाएं इसलिए तुम्हारे लिए ‘द’ का संदेश दिया है। दया भावना ही तुम्हें पतन से बचाएगी।’’

प्रजापति ने अपने एक ही अक्षर मंत्र से इंद्रियों के दमन, सर्वस्व दान तथा करुणामय दया का अनूठा और मूल्यवान उपदेश तीनों को दे दिया। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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