Bhai dooj Special 2025: भाई दूज पर खुलते हैं मोक्ष के द्वार, यूपी के इस दिव्य मंदिर में यमराज ने दिया था अमरता का आशीर्वाद
punjabkesari.in Thursday, Oct 23, 2025 - 05:00 AM (IST)
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Bhai dooj Special 2025: प्रयागराज शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर, यमुना नदी के बीचों-बीच स्थित सुजावन देव मंदिर की कहानी सैकड़ों वर्ष पुरानी है। यह पवित्र स्थल प्राकृतिक सुंदरता और शांति का अद्भुत संगम है, जहां पहुंचने के लिए भक्तों को नाव का सहारा लेना पड़ता है। चारों ओर जल से घिरा यह मंदिर भगवान शिव और मां यमुना के प्रति अटूट आस्था का प्रमुख केंद्र है।

यह मंदिर भगवान भोलेनाथ की भक्ति का एक अनूठा प्रतीक है। पूरे साल यहां भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन विशेष रूप से सावन के पवित्र महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्तजन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां जलाभिषेक करते हैं।
इस मंदिर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण पौराणिक मान्यता है। कहा जाता है कि भाई दूज के दिन, मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने इसी स्थान पर आए थे। अपनी बहन से मिलकर वे इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने वरदान दिया कि जो भाई इस दिन यमुना में स्नान करेगा और अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसी कारण, इस पावन तिथि पर लाखों श्रद्धालु यहाँ स्नान और पूजा के लिए आते हैं।

घूरपुर के समीप स्थित इस पावन स्थल पर दीपावली के बाद आने वाली यम द्वितीया के दिन एक भव्य मेला लगता है। 22 और 23 अक्टूबर को इस वर्ष ये मेला आयोजित किया जाएगा। यहां पर आने वाला हर श्रद्धालु यमुना नदी में स्नान करके भगवान सुजावन देव की पूजा-अर्चना करता है। ऐसा विश्वास है कि इससे यमराज के भय से मुक्ति मिलती है और लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मेले को प्रयागराज के बाद दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है।
अद्भुत वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व
सुजावन देव का मंदिर यमुना नदी के किनारे, लगभग 150 फीट ऊंची पत्थर की चट्टानों पर बना हुआ है। इसे कुषाण कालीन काल के दौरान स्थापित माना जाता है और यह अष्ट पवई क्षेत्र में स्थित है। मंदिर की विशेष भौगोलिक स्थिति और प्राचीन स्थापत्य कला इसे न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक महत्व की दृष्टि से भी एक अनमोल धरोहर बनाती है।

