Basant panchami Shahi Snan: बसंत पंचमी पर होगा चौथा शाही कुंभ स्नान, मिलेंगे ढेरों लाभ

punjabkesari.in Wednesday, Jan 22, 2025 - 02:01 PM (IST)

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Mahakumbh 2025 Shahi Snan: महाकुंभ 2025 में कुल 3 अमृत स्नान होने तय हुए थे। जिसमें पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन, 14 जनवरी को हो चुका है। दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर होगा और तीसरा बसंत पंचमी के दिन होना तय हुआ है। बसंत पंचमी पर महाकुंभ का चौथा शाही स्नान होगा। बसंत पंचमी पर कुंभ स्नान का महत्व आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और मानसिक स्तर पर बहुत गहरा है। हालांकि इसे धार्मिक दृष्टिकोण से जोड़ा जाता है लेकिन इसके पीछे छिपे लाभ हमारे जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करते हैं। यह अनुभव किसी भी धार्मिक पुस्तक में पढ़ने या किसी अन्य माध्यम से जानने की अपेक्षा व्यक्तिगत रूप से करने पर अधिक प्रभावशाली होता है। कुंभ स्नान केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आपके भीतर के ईश्वरीय स्वरूप को पहचानने का मार्ग है।

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आध्यात्मिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा
कुंभ के दौरान संगम में स्नान करने से केवल शारीरिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि का अनुभव होता है। यह आत्मा को नकारात्मकता से मुक्त कर, सकारात्मक ऊर्जा से भरने का एक साधन माना जाता है। स्नान करते समय "ॐ सरस्वत्यै नमः" या "ॐ गंगा नमः" जैसे मंत्रों का जाप आपके भीतर नई चेतना का संचार करता है।

सामूहिक चेतना का अनुभव
कुंभ मेला और बसंत पंचमी का संगम सामूहिक ऊर्जा को बढ़ाता है। लाखों श्रद्धालु जब एकत्र होकर स्नान करते हैं तो सामूहिक चेतना का अनुभव होता है। यह आपको ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ने का कार्य करता है।

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ऋतु परिवर्तन और स्वास्थ्य लाभ
बसंत पंचमी के समय ऋतु परिवर्तन होता है और इस समय शरीर को जल से जुड़े प्राकृतिक तत्वों के करीब लाना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। संगम के जल में प्राकृतिक औषधीय गुण भी होते हैं, जो शरीर को संक्रमण और बीमारियों से बचाने में सहायक होते हैं।

मन और मस्तिष्क की शांति
गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम केवल जल का मिलन नहीं है, यह विचारों और भावनाओं के संतुलन का प्रतीक है। जब आप इस पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं, तो मन में उपस्थित अशांति दूर होती है और मस्तिष्क नई रचनात्मकता और शांति का अनुभव करता है।

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संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव
कुंभ स्नान केवल एक व्यक्तिगत क्रिया नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक और पारंपरिक जड़ों से जुड़ने का माध्यम है। बसंत पंचमी ज्ञान, विद्या और कला की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व है। इस दिन स्नान करने से आप अपनी परंपराओं को सम्मान देते हुए अपने पूर्वजों और संस्कृति से जुड़े रहते हैं।

आत्मा का पुनर्जन्म
इसे "आत्मा का पुनर्जन्म" भी कहा जा सकता है। जब आप गंगा-स्नान करते हैं, तो यह प्रतीकात्मक रूप से आपके पुराने कर्मों और दोषों का अंत कर, आपको नए जीवन के लिए तैयार करता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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