प्रेरक प्रसंग: महान लेखक ‘राम प्रसाद बिस्मिल’
punjabkesari.in Tuesday, Dec 21, 2021 - 05:50 PM (IST)

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राम प्रसाद बिस्मिल की क्रांति भावना नव निर्माण के विचारों से प्रेरित थी। वह कर्म से ही नहीं थे बल्कि कलम से भी क्रांतिकारी थे। वह जो कुछ करना चाहते थे या जो कुछ कर सकते थे, उन्होंने अपनी रचनाओं में ढाला।
तेरी इस जुल्म की हस्ती को, ए जालिम मिटा देंगे।
जुबां से जो निकालेंगे ,वो हम करके दिखा देंगे।
हमारे सामने हस्ती है क्या, इन जेल खानों की
वतन के वास्ते सूली पे, हम चढ़कर दिखा देंगे।
बिस्मिल ने 11 वर्ष क्रांतिकारी रूप में बिताए और 11 पुस्तकें भी लिखीं। उनके शेर और उनकी कविताएं इतनी जोशीली होती थीं कि उन्हें साम्राज्यवादी शक्तियां जब्त करने में ही अपनी भलाई समझती थी। इतनी कम उम्र में भी उनकी कविताओं पर अच्छी पकड़ थी। रचना धर्म और जीवन का कर्म उनमें मिल कर एक हो गया। स्वाभिमानी व्यक्तित्व की अमिट छाप उनकी शायरी पर स्पष्ट नजर आती थी। क्रांतिकारी आंदोलन की जो शुरूआत उन्होंने धमाकेदार कारनामों से की, उनकी मंजिल के आखिरी पड़ाव पर पहुंचने से पूर्व ही उनका जीवन उनसे बलात छीन लिया गया।
अलबत्ता जिंदगी को आखिरी सलाम करने से पूर्व कुछ मलाल उनके मन में अवश्य रह गया था जिसे उन्होंने अपनी इस गजल से व्यक्त किया :
दुश्मन के आगे सर यह, झुकाया न जाएगा,
बारे अलम अब और उठाया न जाएगा।
‘बिस्मिल’ की शहादत की चर्चा स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में तो सर्वत्र होती है लेकिन शायर और कवि के रूप में उनका जिक्र साहित्य के इतिहास में क्यों नहीं होता? 30 वर्ष की अल्पायु में ही देश पर अपना जीवन न्यौछावर कर देने वाले ‘बिस्मिल’ द्विवेदी युग के उन कवियों की तरह थे जिनमें ‘राष्ट्रीय चेतना’ कूट-कूट कर भरी हुई थी।