Ashadha Gupt Navratri: इस दिन है गुप्त नवरात्रि की अष्टमी-नवमी, गुप्त इच्छाएं पूरी करेंगे ये गुप्त काम
punjabkesari.in Tuesday, Jul 01, 2025 - 02:00 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ashadha Gupt Navratri 2025: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून से आरंभ हुए हैं। जिनका समापन 4 जुलाई को होगा। गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों में 10 महाविद्याओं की विधि-विधान से पूजा, तंत्र साधानाएं और व्रत किए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों में से अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष रुप से प्रभावशाली माना जाता है। यदि आप नवरात्रि के 9 दिन देवी की साधना न कर पाए हो तो केवल अष्टमी-नवमी के दिन जो कामनाएं पूरी न हो रही हो, वे पूरी की जा सकती हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी (8वें दिन) और नवमी (9वें दिन) तांत्रिक साधनाओं, देवी आराधना और विशेष पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ये दोनों दिन साधना की सिद्धि और पूर्ण फल प्राप्ति के लिए निर्णायक होते हैं। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि 3 जुलाई गुरुवार को है और नवमी तिथि 4 जुलाई दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर क्या करें (8वां दिन)
महाकाली साधना या पूजन करें। अष्टमी तिथि को महाकाली की साधना अत्यंत फलदायी मानी जाती है। रात्रि के समय किसी शांत स्थान पर काले वस्त्र पहनकर, तिल के तेल का दीपक जलाएं। 108 या 1008 बार जप करें।
मंत्र: ॐ क्रीं कालिकायै नमः, ॐ क्रीं कालिका देव्यै नमः
भोग
देवी को काले चने, गुड़ और नारियल का भोग लगाएं। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
तांत्रिक दृष्टि से रक्षात्मक उपाय
एक नींबू को चार भागों में काटकर चौराहे पर रात में फेंक दें। यह उपाय बुरी नजर और शत्रु बाधा को समाप्त करता है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि पर क्या करें (9वां दिन)
कन्या पूजन करें (गुप्त रूप से भी कर सकते हैं) 9 कन्याओं को भोजन करवाएं और उन्हें लाल वस्त्र या लाल रुमाल भेंट करें। यदि यह संभव न हो तो 1 कन्या को भी प्रेमपूर्वक पूजें, यह भी सिद्धि देता है।
त्रिपुरसुंदरी या श्रीविद्या साधना
नवमी को त्रिपुरसुंदरी देवी की साधना विशेष फलदायी मानी जाती है। यह साधना सौंदर्य, आकर्षण और मनोकामना पूर्ति में चमत्कारी रूप से सहायक होती है।
मंत्र: ॐ ऐं क्लीं सौः श्रीं त्रिपुर सुन्दर्यै नमः
गुप्त दान
किसी जरूरतमंद को काले वस्त्र, तिल, तेल, काले चने आदि का गुप्त रूप से दान करें। यह पितृदोष, ग्रहदोष और तंत्र बाधा को शांति देता है।
विशेष निर्देश
दोनों दिन मौन व्रत या यथासंभव कम बोलना श्रेष्ठ होता है।
रात्रि को जप, ध्यान और मंत्र साधना अत्यधिक शक्तिशाली मानी जाती है।
साधना के अंत में सिद्धि प्राप्ति की भावना और माँ का आभार अवश्य प्रकट करें।