Chaturmas: 4 महीने तक करें इन नियमों का पालन, दैवीय शक्तियों से बनने लगेंगे सभी बिगड़े काम
punjabkesari.in Wednesday, Jul 10, 2024 - 01:32 PM (IST)
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Chaturmas 2024 Niyam: पद्मपुराण के अनुसार जिन दिनों में भगवान विष्णु शयन करते हैं, उन चार महीनों को चातुर्मास एवं चौमासा भी कहते हैं। इन चार मासों में विभिन्न कर्म करने पर मनुष्य को विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है क्योंकि किसी भी जीव की ओर से किया गया कोई भी पुण्यकर्म खाली नहीं जाता। वैसे तो चातुर्मास का व्रत देवशयनी एकादशी से शुरू होता है परंतु द्वादशी, पूर्णिमा, अष्टमी और कर्क की संक्रांति से भी यह व्रत शुरू किया जा सकता है। आध्यात्मिक शक्ति प्राप्ति के लिए व्रत करना, उपवास रखना और ईश्वर की आराधना करना बेहद लाभदायक माना जाता है। मानसून, बारिश, खुशी, हरियाली और ताजा हवा चातुर्मास लेकर आता है। जब तक चातुर्मास चल रहा है तब तक हर सनातन धर्म के जातक को प्रतिदिन यहां बताए जा रहे कुछ काम करने चाहिए। 4 महीने तक इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति के हृदय में जितने भी मनोरथ होते हैं वह सिद्ध होने लगते हैं। सभी बिगड़े काम दैवीय शक्तियों से बनने लगते हैं, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
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Chaturmas Ke Upay चातुर्मास के उपाय: रोजाना ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। जाप के लिए तुलसी की माला प्रयोग में लाएं।
शाम के समय तुलसी के समीप दो घी के दीपक जलाएं।
तिल के तेल का दीपक भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी के सामने जलाएं।
प्यासों को जल पिलाएं संभव हो तो प्याऊ लगवाए अथवा जल का दान करें। घर के बाहर अथवा छत पर पशु-पक्षियों के लिए जल का बर्तन रखें।
गरीब, लाचार व असहाय व्यक्तियों को औषधी दान स्वरूप दें।
सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें जल में गुड़, लाल चंदन, कुशा, दूध मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। फिर तुलसी को जल दें और परिक्रमा करें।
चातुर्मास महात्म्य का पाठ करें। प्रतिदिन इसका पाठ करने अथवा सुनने से एक हजार गोदान और कन्यादान के समान फल प्राप्त होता है।
तुलसी, गुरु, माता-पिता और गाय की प्रतिदिन परिक्रमा करें।
धन पाने के चाहवान भगवान लक्ष्मी नारायण का पूजन करें। ये पूजन अर्द्धरात्रि के समय करना शुभ फल देता है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। घी में कमल के दाने डालकर ऋग्वेद में वर्णित श्री सूक्त के मंत्रों से हवन करें। मंत्रों का जाप कमलाक्ष की माला से करें और अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर रखें।
पितृ शांति के लिए पितृ तीर्थ में जाकर पिंडदान करें।