जन्मकुंडली में ही छिपे होते हैं राजयोग

punjabkesari.in Sunday, Jul 26, 2015 - 03:05 PM (IST)

पर्वतयोग : यदि कुंडली के सप्तम और अष्टम भाव में कोई ग्रह नहीं हो या कोई शुभग्रह हो और सब शुभ ग्रह केंद्र में हों तो पर्वत नामक योग होता है । इस योग में उत्पन्न व्यक्ति भाग्यवान,वक्ता, शास्त्रज्ञ, प्राध्यापक, हास्य व्यंग्य लेखक, यशस्वी, तेजस्वी और मुखिया होता है ।

काहल योग : लग्नेश बली हो, सुखेश और बृहस्पति परस्पर केंद्रगत हों या सुखेश और दशमेश एक साथ उच्च या स्वराशि में हों तो काहल योग होता है । इस योग में उत्पन्न व्यक्ति बली, साहसी, धूर्त , चतुर और राजदूत होता है । यह योग राजनीतिक अभ्युदय का सूचक है ।

वीणा योग : सात राशियों में समस्त ग्रह स्थित हों तो वीणा योग होता है । इस योग वाला मनुष्य गीत,संगीत, नृत्य, वाद्य से स्नेह करने वाला होता है । धनी नेता और राजनीति में सफल होता है ।

चाप योग : दशम भाव से आगे के सात स्थानों में सभी ग्रह हों तो चाप योग होता है । इस योग वाला व्यक्ति, जेलर, गुप्तचर, राजदूत, वन का अधिकारी और झूठ बोलने वाला होता है । यह योग पुलिस विभाग से भी संबंध बनाता है ।

लक्ष्मी योग : लग्नेश बलवान हो और भाग्येश अपने मूल त्रिकोण, उच्च या स्वराशि में स्थित होकर केंद्रस्थ हो तो लक्ष्मी योग बनता है । इस योग वाला व्यक्ति पराक्रमी, धनी, यशस्वी और सत्ता के शीर्षस्थ पदों का सुख भोगता है ।

श्रीनाथ योग : सप्तमेश दशम में उच्च या स्वराशि का हो और दशमेश नवमेश से युक्त हो तो श्रीनाथ योग होता है । इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति राजनीति में उच्चस्थ पदवी पाता है ।

कुसुम योग : स्थिर राशि लग्न में हो शुक्र केंद्र में और चंद्रमा त्रिकोण में शुभ ग्रहों से युक्त हो और शनि दशम स्थान में हो तो कुसुम योग होता है । इस योग वाला जातक सुखी, भोगी, विद्वान, प्रभावशाली, मंत्री, सांसद विधायक आदि बनता है ।

महाराज योग : लग्नेश पंचम में और पंचमेश लग्न में हो आत्मकारक और पुत्र कारक दोनों लग्न या पंचम में हो अपने उच्च राशि, स्वराशि या नवमांश में और शुभ ग्रहों से दुष्ट हो तो महाराज योग होता है । इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति के राज्यपाल या मुख्यमंत्री बनने के योग बनते हैं ।

भास्कर योग : यदि सूर्य से द्वितीय भाव में बुध हो बुध से एकादश भाव में चंद्रमा और चंद्रमा से त्रिकोण में बृहस्पति स्थित हो तो भास्कर योग होता है । इस योग में जन्मा मनुष्य पराक्रमी, रूपवान, गंधर्व, विद्या का ज्ञाता, धनी, गणितज्ञ, धीर समर्थ, शास्त्रों का ज्ञाता होता है ।

मरुत  योग :
यदि शुक्र से त्रिकोण में गुरु हो, गुरु से पंचम चंद्रमा और चंद्रमा से केंद्र में सूर्य हो तो मरुत योग होता है । इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति वाचाल, विशाल हृदय वाला, शास्त्रों का ज्ञाता, क्रय-विक्रय में निपुण, तेजस्वी, विधायक या किसी आयोग का सदस्य होता है ।


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