गुरु के राशि परिवर्तन का जीवन में ये है विशेष महत्व

punjabkesari.in Monday, Jul 06, 2015 - 08:36 AM (IST)

ब्रह्मांड में गुरु को बड़ा ग्रह माना गया है, जिसका रंग पीला है । यह ग्रह ज्ञान, शिक्षा, विस्तार व विद्वता का प्रतीक है । इस मास 14 जुलाई , द्वितीया आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी मंगलवार को देव गुरु मघा नक्षत्र के अधीन 6 बजकर 23 मिनट पर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे और यहां 11 अगस्त, 2016 तक रहेंगे ।

ये पंचम, सप्तम व नवम जहां दृष्टि डालें उस भाव को लाभ देते हैं ।गुरु धनु व मीन राशि का स्वामी है व कर्क में उच्च कहलाता है जबकि मकर राशि में यह नीच का हो जाता है । धनु राशि में यह शुभ फलकारक है । सूर्य, चंद्र व मंगल इसके मित्र ग्रह हैं परंतु बुध, शुक्र एवं शनि शत्रु हैं । यह लग्न, पंचम, नवम व दशम भावों का कारक ग्रह है । गुरु 6,8,12 भाव में हों या नीच राशि में या इन भावों के स्वामियों से संबंध हो, तो अशुभ फल देते हैं ।

शंका निवारण
कई  विद्वानों का यह कहना गलत है कि सिंहस्थ गुरु में विवाह नहीं होंगे । ऐसा नहीं है । तेरह महीने मांगलिक कार्य आधुनिक युग में रुक जाएं,ऐसा असंभव है । दूसरा भ्रम दिन के समय विवाह को लेकर है कि विवाह केवल रात्रि को ही संपन्न होने चाहिएं। वास्तव में आजकल रात्रिकालीन विवाह, रोशनी,पटाखों, साज सज्जा, अतिथियों के समय की उपलब्धता के कारण अधिक मान्य  व लोकप्रिय हो गए हैं जबकि वेद या शास्त्रों में कहीं भी दिन के विवाह का निषेध नहीं किया गया है ।

राशिफल
यहां हम चंद्र राशि के अनुसार, गुरु के राशि परिवर्तन के 12 राशियों पर पड़ने वाले प्रभावों की विवेचना कर रहे हैं। कुंडली में जिस राशि या संख्या में चंद्र लिखा है उसी को चंद्र राशि कहते हैं अत: आप अपना राशि फल उसी के अनुसार देखें ‘सन साइन’ से नहीं । गुरु के राशि परिवर्तन का जीवन में विशेष महत्व है क्योंकि यह 12 वर्ष बाद ही उसी राशि में पुन: आता है ।

मेष-पंचम भाव में गुरु के आने से  शिक्षा, संतान,  रोमांस, प्रेम संबंध, मनोरंजन, लाटरी ,शेयर ,मंत्र साधना, आध्यात्मिक उन्नति संभावित है । विवाह योग्य हैं तो शादी की संभावना प्रबल है । मान-सम्मान बढ़ेगा । पुत्र पुत्री,पत्नी से चिंता । परिश्रम से ही सफलता मिलेगी । पार्टनरशिप तथा किसी भी तरह के कांट्रैक्ट में लाभ होगा । कहीं से मदद मिलेगी । नौकरी मिल सकती है । किसी महिला की सहायता से कई काम बनेंगे ।

वृष- व्यापार बढ़ेगा । अनावश्यक व्यय से बचें । मैडीकल पर खर्चा हो सकता है । संतान से परेशानी, सरकार से विरोध आदि संभावित हैं । परिवार के सदस्यों में सामंजस्य रहेगा । मां-बाप से संपत्ति के विवाद हल होंगे । आवास की समस्या समाप्त हो सकती है । मकान का सपना पूरा होगा या वर्तमान घर का पुर्ननिर्माण, साज-सज्जा में खर्च  हो सकता है । चतुर्थ भाव वाहन का भी है और गुरु शुक्र के नक्षत्र में होने से इसकी प्राप्ति संभव है ।

मिथुन- तीसरे घर यानी पराक्रम,भाई-बहन, वाक्पटुता, संचार, संप्रेषण वाले भाव में गुरु का संचार भाई-बहनों में प्यार बढ़ाने के अलावा पिछला वैमनस्य भी समाप्त करेगा । वाक कुशलता, बातचीत या सलाहकार आदि का कार्य करने वालों की बल्ले-बल्ले रहेगी । गुरु इस भाव में बैठ कर, सप्तम, नवम व एकादश भावों पर दृष्टिपात करेगा और रुका धन, लौटाने के अलावा आय में निरंतर वृद्धि करेगा । गृहस्थ जीवन सुखी रखेगा । नई मित्रता-संबंधों में वृद्धि करेगा ।

कर्क- बारह साल बाद धन भाव में लौटे गुरु मालामाल कर देंगे परंतु बचत का भी ख्याल रखना होगा वरना हानि संभव । इस राशि के लिए गुरु मिश्रित फलदायक हैं, पैतृक संपत्ति विवाद कारक, उदर रोग,चर्म रोग, गुप्त शत्रु वृद्धिकारक हो सकता है । दूसरों की सहायता के लिए भाग-दौड़ करेंगे जबकि दूसरी ओर से कोई लाभ नहीं मिल पाएगा । इस अवधि में जो धन आए, समय रहते उसे सही जगह निवेश कर दें ताकि मांगने वाले आपकी पूंजी ठिकाने न लगा देंं । धर्म-कर्म में रुचि रखेंगे तो दुष्प्रभावों से बचे रहेंगे ।

सिंह- गुरु सिंह राशि में यानी आपकी लग्न में आए हैं तो आपको कोई पराजित नहीं कर सकता ।  मन प्रसन्न रहेगा । यहां गुरु बली होने से संतान, जीवन साथी और भाग्य को देखेगा और इस क्षेत्र में उन्नति एवं भाग्य वृद्धि करेगा । लग्न में आकर आपका वजन बढ़ा देगा । खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा । जनहित के कार्यों से जुड़ने का विशेष अवसर होगा ।

कन्या-अस्पताल, मोक्ष  एवं व्यय भाव में गुरु आर्थिक चिंताएं बढ़ा सकते हैं । धन हानि, व्यापार में धोखा, रोग व शत्रुओं में वृद्धि आदि कुछ संकेत हैं जिनके प्रति सावधान रहने की आवश्यकता रहेगी । संयम,धैर्य,जीवन साथी से अच्छे संबंध बनाए रखने में ही भलाई है । कभी-कभी निराशा की भावना प्रबल हो सकती है । सत्य का प्रकाश भी इसी अवधि में आपके जीवन को आलोकित कर सकता है ।

तुला-लाभ स्थान पर बृहस्पति महाराज का आगमन, यह परिवर्तन, उत्तम समय का सूचक है,  तुला राशि के अच्छे दिन अब शुरू हो रहे हैं । छात्रों को प्रतियोगिताओं में सफलता के अवसर मिलेंगे । प्रशासनिक सेवा में प्रवेश पाना चाहते हैं तो  इस स्वर्णिम मौके को हाथ से न जाने दें । यश, मान-प्रतिष्ठा, जीवन साथी से भरपूर सहयोग की अपेक्षा करने वालों को निराशा नहीं मिलेगी । मित्रता का दायरा बढ़ेगा । विपरीत लिंग से लगाव एवं आकर्षण संभावित है ।

वृृश्चिक-कर्म भाव पर आने से आपका मान-सम्मान कर्म से बढ़ेगा । कम मेहनत का अधिक फल मिलेगा । पदोन्नति, चुनावों में विजय, राजनीति में पद प्राप्ति, कारोबार में वृद्धि की पूर्ण संभावना है । रुके कार्य होने लगेंगे । डूबी रकम के तरने का समय आ गया है । विदेश यात्रा सफल एवं भाग्यशाली सिद्ध होगी । शनि महाराज भी सुख-सुविधा बढ़ाएंगे । पुराने शत्रुओं से सावधान भी रहना होगा । किसी परिवार जन के उपचार पर अनावश्यक व्यय हो सकता है ।

धनु-आपके भाग्य स्थान पर लोहे के पाए से गुरु प्रवेश कर रहे हैं । समझें कि बस 12 साल बाद भाग्य की रेखा सीधी होने वाली है । संतान प्राप्ति, संतान से प्रसन्नता, व्यापार विस्तार, तरक्की, नौकरी में तरक्की उद्देश्य पूर्ति अर्थात जो मांगोगे वही मिलेगा वाले अच्छे दिन कम से कम एक साल के लिए तो आ ही गए हैं ।

मकर- अष्टम भाव पैतृक संपत्ति, गड़ा धन, आयु, तंत्र, मंत्र, ज्योतिष ,परामनोविज्ञान, गुप्त विद्याओं, अनुसंधान, आदि का दु:स्थान माना गया है । यहां गुरु अहित नहीं करेगा अपितु मिले जुले फल ही देगा । सेहत का खास ध्यान और अनावश्यक व्यय पर नियंत्रण रखें । किसी नए कार्य, जमीन, मकान आदि में निवेश से बचें । पैतृक संपत्ति के विवाद समाप्त होंगे । छात्रों के लिए समय उन्नतिकारक रहेगा। विरासत में कुछ मिल सकता है। बैंक  से ऋण में आसानी। अचानक धन लाभ के संयोग हैं ।

कुंभ- इस राशि के लिए सप्तम भाव में यह ग्रह, विवाह योग्य जातकों को घोड़ी पर चढ़ाएगा या डोली में बैठाएगा। जिन परिवारों में संबंध विच्छेद के कोर्ट केस चल रहे हैं, वहां परिवार बिखरने से बच सकता है । विदेश यात्रा होगी । दुकानदारों की बिक्री 4 गुणा बढ़ सकती है। आर्थिक प्रगति, धन धान्य, नए व्यापारिक संबंध, ऐश्वर्य, मान प्रतिष्ठा में वृद्धि के योग हैं । भूमि, वाहन, विलासिता पर उपयोगी व्यय होगा ।
मीन-यदि कोई विपरीत दशा नहीं चल रही है तो रोग स्थान पर गुरु का गोचर काफी कुछ देकर जाएगा । शरीर में दांतों, बालों, आंखों, श्वास संबंधी अंगों का विशेष ध्यान रखें । विरोधी से परेशानी, स्थानांतरण  या नौकरी में परिवर्तन के योग हैं । नए कार्य में निवेश कर हाथ न जलाएं । पारिवारिक संबंध संवेदनशील हो सकते हैं अत: दिनचर्या में वाद-विवाद के समय बहुत सावधानी बरतें । आपके लिए गुरु के उपाय करना संजीवनी जैसा होगा ।

- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषाचार्य

 

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