आपके संपूर्ण जीवन का लेखा-जोख खोलता है कुंडली का पंचम भाव

punjabkesari.in Sunday, Jun 07, 2015 - 09:27 AM (IST)

ज्योतिषशास्त्र में पंचम भाव को सुत भाव भी कहा जाता है। व्यक्ति की जन्म कुंडली में पंचमभाव को त्रिकोण की संज्ञा दी गई है। पंचम भाव से मुख्यत: सभी प्रकार की संतान (पुत्र, पुत्री, दत्तक पुत्र आदि) विद्या, बुद्धि धारणाशक्ति, व्यवस्थापक होने की योग्यता का विचार किया जाता है। आइए पंचम भाव में स्थित राशियों का फलित देखें।

मेष :
पंचम भाव में मेष राशि के होने से मंगल पंचमाधिपति एवं व्ययेश होता है। यदि मंगल बलवान हो तो पुत्रों की प्राप्ति होती है। पंचम स्थान में मेष राशि का मंगल गर्भ हानि एवं संतानोत्पत्ति में बाधा देता है परंतु अन्य सभी कार्यों के लिए शुभ रहता है। पंचम भाव में मेष राशि का होना व्यक्ति को अविवेकी होने के साथ-साथ क्रोधी बनाता है।

वृष : पंचम भाव में वृषभ राशि हो एवं शुक्र शुभ स्थिति में हो तो जातक उच्च पदासीन, धनी, मंत्री एवं प्रशासनिक सेवा से युक्त होता है। जातक की पत्नी सुंदर एवं विवाह के पश्चात, जातक की उन्नति होती है। यदि शुक्र अशुभ हो तो जातक स्वयं एवं संतान के कृत्यों से हानि उठाता है ऐसे जातक को संतान लाभ देर से होता है।

मिथुन : पंचम स्थान में मिथुन राशि का होना एवं बुध का अशुभ स्थिति में होना जातक को गैस एवं अपच जैसे रोग देता है, वहीं बुध बलवान हो तो जातक सुशिक्षित, बुद्धिमान एवं तेजस्वी होता है। मिथुन राशि के पंचम भाव में होने से जातक को आकस्मिक धन लाभ व विशेष सफलता मिलती है।

कर्क : यदि पंचम भाव में कर्क राशि हो तो चंद्रमा का शुभ होना आवश्यक है। चंद्रमा शुभ हो तो जातक की स्मरण शक्ति अच्छी होती है। पुत्र निरोगी एवं अच्छी उन्नति करने वाले होते हैं। वहीं निर्बल चंद्रमा हो तो संतान क्षीण स्वास्थ्य वाली होती है। ऐसे जातक शीघ्र विश्वास कर लेते हैं एवं बाद में धोखा खाते हैं।

सिंह : यदि पंचम भाव में सिंह राशि हो तो जातक उग्र स्वभाव का होता है। वह किसी भी प्रकार का उपहास सहन नहीं कर पाता। प्राय: उसके असहिष्णु स्वभाव के कारण लोग उससे निकट संबंध नहीं रखते। ऐसे व्यक्तियों को हमेशा पेट के रोग परेशान करते रहते हैं। जीवन की अंतिम अवस्था में इन्हें हृदय रोगों की संभावना होती है।

कन्या : यदि पंचम भाव में कन्या राशि हो तो जातक पुत्री का पिता अवश्य बनता है। यदि बुध बलवान हो तो जातक विद्वान एवं भाषण कला में निपुण होता है। संतान के साथ-साथ जातक स्वयं भी सुंदर होता है। ऐसे जातक व्यर्थ की लंबी-चौड़ी बातें करते हैं। यदि इन्हें अल्प अधिकार भी प्राप्त हो जाएं तो ये दुरुपयोग करने से नहीं चूकते।

तुला : यदि पंचम भाव में तुला राशि हो तो जातक स्वरूपवान एवं सुशील होता है। ऐसे जातक प्रत्येक कार्य तत्परता से करते हैं। अध्ययन का इन्हें विशेष शौक होता है। लोग इनके कार्यों की सराहना भी करते हैं लेकिन कई बार ऐसी गलती कर बैठते हैं कि बाद में इन्हें पछताना पड़ता है।

वृश्चिक : यदि सुत भाव में वृश्चिक राशि हो तो जातक अपने कुल परम्परागत धर्म को मानने वाला सुशील एवं सुंदर होता है। ये लोग धुन के पक्के एवं बहुत सोच-विचार के बाद निर्णय लेते हैं। अध्ययन में बाधाएं एवं संतान पक्ष से इन्हें हानि होती है।

धनु : यदि पंचम भाव में धनु राशि हो तो जातक उच्चाधिकारी एवं देश- विदेश में प्रसिद्ध होता है। ये व्यक्ति गुरुजनों के भक्त एवं शत्रुमर्दन करने में सक्षम होते हैं। ये लोग अच्छे घुड़सवार होते हैं। यदि बृहस्पति शुभ हो तो जातक को प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलती है।

मकर : पंचम भाव में मकर राशि के होने से जातक देखने में सुंदर नहीं होता तथा अत्यंत कठोर हृदय होता है। पापकर्म में रत तथा ऐसा जातक प्रभावहीन एवं तेजहीन होता है। पुत्रों से ऐसे जातक को कोई लाभ नहीं होता अपितु अपमान एवं हानि उठानी पड़ती है। ऐसे जातक आलसी होते हैं लेकिन समय को ये भली-भांति पहचानते हैं।

कुंभ : सुत भाव में कुंभ राशि का होना जातक को गंभीर सोच युक्त एवं परोपकारी बनाता है। ऐसे जातक को स्थिर चित्त नहीं कहा जा सकता। ये कुछ न कुछ नया सोचते रहते हैं। इनका योग कारक शनि होता है। इसी कारण इन्हें अच्छा संतान सुख मिलता है। ये लोग राजनीति में विशेषकर सफल होते हैं।

मीन : पंचम स्थान में मीन राशि के होने से जातक को उच्च विद्या एवं उच्च पद की प्राप्ति होती है। ये लोग किए गए उपकार को जल्दी भुलाने वाले होते हैं। यदि गुरु निर्बल हो तो जातक को संतान प्राप्ति में बाधाएं आती हैं।

—पं. नीरज जांगिड़


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