अपने कॅरियर को लेकर हैं परेशान तो इस प्रसंग में छिपा है समाधान

punjabkesari.in Friday, May 08, 2015 - 08:51 AM (IST)

एक बार दो गधे अपनी पीठ पर बोझा उठाए चले जा रहे थे, उनको काफी लम्बा सफर तय करना था... एक गधे की पीठ पर नमक की भारी बोरियां लदी हुई थीं तो एक की पीठ पर रूई की बोरियां लदी हुई थीं।

जिस रास्ते से वे जा रहे थे उस बीच में एक नदी पड़ती थी, नदी के ऊपर रेत की बोरियों का कच्चा पुल बना हुआ था... जिस गधे की पीठ पर नमक की बोरियां थीं, उसका पैर बुरी तरह से फिसल गया और वह नदी के अंदर गिर पड़ा। नदी में गिरते ही नमक पानी में घुल गया और उसका वजन हल्का हो गया...वह यह बात बड़ी प्रसन्नता से दूसरे को बताने लगा...दूसरे गधे ने सोचा कि यह तो बढिय़ा युक्ति है, ऐसे में तो मैं भी अपना भार काफी कम कर सकता हूं और उसने बिना सोचे-समझे पानी में छलांग लगा दी, किन्तु रूई के पानी सोख लेने के कारण उसका भार कम होने की बजाय बहुत बढ़ गया, जिस कारण वह मूर्ख गधा पानी में डूब गया।
 
एक संत यह सारा किस्सा अपने शिष्यों के साथ देख रहे थे, उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, ‘‘मनुष्य को सदा अपना विवेक जागृत रखना चाहिए, बिना अपनी बुद्धि लगाए दूसरों की नकल कर वैसा ही करने वाले सदा उपहास के पात्र बनते हैं।’’
 
मित्रो, हमारी असल जिंदगी में भी यही बात लागू होती है, हम किसी को एक क्षेत्र में सफल होते देख उसे कॉपी करना शुरू कर देते हैं, हमें लगता है कि यदि कोई  बंदा अपने क्षेत्र में सफल हो गया तो हमें भी उस क्षेत्र में सफलता मिल जाएगी लेकिन हम शायद यह ध्यान नहीं देते कि उसकी पीठ पर नमक वाली बोरी है मतलब उसका इंटरस्ट अलग है।  भूलवश हम रूई की बोरी को लादे छलांग लगा देते हैं, मतलब दूसरे के टैलेंट या इंटरस्ट को लादे उस क्षेत्र में सफल होने का ख्वाब देखते हैं, और अंतत: हमें पछताना पड़ता है। इसलिए दूसरों को देखकर सीखना ठीक है पर उनका अंधा अनुसरण करना उस मूर्ख गधे के समान व्यवहार करना है।

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