क्याें किया जाता है शंखनाद ?

punjabkesari.in Saturday, Mar 07, 2015 - 02:58 PM (IST)

समुद्र मंथन के समय प्राप्त चाैदह रत्नाें में से एक शंख की उत्पाति छठे नंबर पर हुई। शंख में भी वही अद् भुत गुण माैजूद है, जाे अन्य तेरह रत्नाें में है। इसके नाद से अ, आेम् अर्थात ॐ शब्द निकालता है। इसलिए शंख बजाते समय ॐ का नाद जहां तक जाता है, वहां तक की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हाे जाती है। वैज्ञानिक भी इस बात पर एक राय रखते हैं कि शंख नाद से वायुमंडल से के वे अति सूक्ष्म विषाणु नष्ट हाे जाते हैं, जाे मानव जीवन के लिए घातक हाेते हैं।

वैदिक मान्यता में शंख काे, विजय घाेष का प्रतीक माना जाता है। शुभ कार्य करते समय शंखनाद से शुभता का अत्यधिक संचार हाेता है। जहां तक भी शंख की आवाज जाती है, सुनने वाले काे ईश्वर का स्मरण हाे जाता है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से शंख बजाना विशेष लाभदायक है। शंख बजाने के पूरक, कुम्भक आैर प्राणायाम एक ही साथ हाे जाता है। पूरक सांस लेने, कुम्भक सांस राेकने आैर छाेड़ने की प्रक्रिया है। आज की सबसे घातक बीमारी ह्रदयाघात, ब्लडप्रेशर, सांस से संबधित राेग, मंदाग्नि आदि शंख बजाना परम शुभ माना जाता है। इसके वादन से घर के बाहर की आसुरी शक्तियां भीतर नहीं आ सकतीं। यहीं नहीं, घर में शंख रखने आैर बजाने से वास्तु दाेष खत्म हाे जाता है।

शंखाें के नाम आैर धारण करने वाले- कृष्ण-पांचजन्य, युधिष्ठिर-अनंतविजय, अर्जुन-देवदत्त, भीम-पाैण्ड्र, नकुल-सुघाेल आैर सहदेव-मणिपुष्प।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News