अपरा एकादशी 2021: शुभ मुहूर्त से लेकर जानिए व्रत की पूजन विधि

punjabkesari.in Friday, Jun 04, 2021 - 04:10 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
6 जून को यानी जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि एकादशी का व्रत किया जाएगा। प्रदीप एकादशी तिथि की तरह ही इस दिन भी भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। सनातन धर्म के अनुसार साल में पढ़ने वाली तमाम एकादशी तिथि का अपना अलग-अलग महत्व है। प्रत्येक एकादशी को भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की तमाम तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती है साथ ही साथ भगवान विष्णु का असीम आशीर्वाद हो प्यार प्राप्त होता है। तो चलिए जानते हैं कि इस दिन किस तरह से कर सकते हैं भगवान विष्णु की पूजा-

सबसे पहले इस दिन प्रात उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर एकादशी व्रत का संकल्प करें। इसके बाद  संभव हो तो घर के मंदिर में एक वेदी बनाएं और उस पर 7 तरह के धान यानी उड़द, मूंग, गेहूं,जौ, चावल और बाजरा रखें।

तत्पश्चात वेदी पर कलश की स्थापना करें और उस पर आम के या अशोक वृक्ष के पांच पत्ते लगाएं। अब यहां भगवान विष्णु की मूर्ति या उनका चित्र रखकर उस पर पीले पुष्प, ऋतु फल तथा तुलसीदल अर्पित करें इसके बाद धूप दीप से आरती करें। जो लोग इस दिन व्रत करें वह शाम को भगवान विष्णु की आरती करके फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।

कोशिश करें कि रात्रि के समय सोए नहीं बल्कि भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें अगले दिन से ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद इच्छा अनुसार उन्हें दान दक्षिणा देने के उपरांत ही व्रत का पारण करें।

यहां जानें अप्रैल का जी के शुभ मुहूर्त तथा श्री हरि विष्णु के कुछ खास मंत्र-
ज्येष्ठ कृष्ण ग्यारस यानी अपरा (अचला) एकादशी का प्रारंभ-
शनिवार, 05 जून को सुबह 04:07 से शुरू होकर रविवार, 06 जून 2021 को सुबह 06:19 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी।
पारण का समय सुबह 5.12 मिनट से 7.59 मिनट तक रहेगा।
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 03:34 से सुबह 04:16 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 04:57 से 07 जून 2021, सुबह 02:28 तक।
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:19 से दोपहर 12:14 तक।
निशिता मुहूर्त- दोपहर 11:26 से 07 जून 2021, अपराह्न 12:07 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:03 से दोपहर 02:58 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:23 दोपहर से सायं 06:47 तक।
अमृत काल- शाम 06:22 से सायं 08:10 तक।

इन मंत्रों का करें जाप- 
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
- ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
- ॐ विष्णवे नम:
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
- ॐ हूं विष्णवे नम:।


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Content Writer

Jyoti

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