Amla Navami Vrat Katha: आंवले के वृक्ष की पूजा करने से देवी लक्ष्मी को मिला था ये आशीर्वाद, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Thursday, Oct 30, 2025 - 06:20 AM (IST)

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Amla Navami Vrat Katha 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी कहा जाता है। यह तिथि श्री हरि विष्णु, मां लक्ष्मी और भगवान शिव की संयुक्त पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन आंवले के वृक्ष (Amla Tree) की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में तुलसी और बेल दोनों की दिव्य शक्तियां निहित होती हैं। जहां तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है, वहीं बेल पत्र भगवान शिव के आराध्य हैं।

Amla Navami
Amla Navami Vrat Katha आंवला नवमी की पौराणिक कथा
एक समय की बात है, माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए उतरीं। भ्रमण करते हुए उनके मन में विचार आया कि वह एक साथ भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें लेकिन यह समझ नहीं पा रहीं थीं कि दोनों देवताओं की संयुक्त पूजा किस प्रकार संभव है।

ध्यान करते हुए लक्ष्मी जी ने पाया कि आंवले का वृक्ष ही ऐसा स्थान है जहां तुलसी की पवित्रता और बेल के पावन गुण दोनों साथ मिलते हैं। उन्होंने निश्चय किया कि वे आंवले के वृक्ष की पूजा करेंगी।

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माता लक्ष्मी ने शुद्ध मन और विधि-विधान से आंवले के वृक्ष की पूजा की, जल अर्पित किया, दीप जलाया और भगवान विष्णु व शिव का ध्यान किया। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव जी दोनों स्वयं प्रकट हुए और देवी लक्ष्मी को आशीर्वाद दिया कि जो भी श्रद्धा और भक्ति से आंवले के वृक्ष की पूजा करेगा, उसके जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आएगी और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

इसके बाद माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन तैयार किया और उसी स्थान पर भगवान विष्णु और भगवान शिव को भोजन अर्पित किया। दोनों देवताओं ने प्रसन्न होकर वह प्रसाद स्वीकार किया। तत्पश्चात, माता लक्ष्मी ने भी वही भोजन प्रसाद रूप में ग्रहण किया। उसी दिन से कार्तिक शुक्ल नवमी के अवसर पर आंवला नवमी व्रत और पूजा की परंपरा प्रारंभ हुई।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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