Ambedkar Jayanti: आज पूरे देश को डा. अंबेडकर के वचनों पर चलने की जरूरत है

punjabkesari.in Friday, Apr 14, 2023 - 07:56 AM (IST)

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Dr Ambedkar Jayanti 2023: भारत रत्न डा. बी.आर. अंबेडकर वह अनमोल रत्न हैं जिन्होंने अपने ज्ञान से देश के आधुनिक विकास में अत्यधिक योगदान दिया। उन्होंने अस्पृश्यता की बुराई के विरुद्ध जागरूकता फैलाई और अपना सब कुछ न्यौछावर करते हुए नि:स्वार्थ भाव से देश की भलाई के लिए काम किया। इस महान व्यक्तित्व का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के मऊ (सैन्य छावनी) में पिता रामजी तथा माता भीमा बाई जी के घर हुआ।

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मूल रूप से उनका परिवार महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के गांव अंबावड़ से था। वह महार जाति से थे जिससे महाराष्ट्र का नाम पड़ा।
डा. अंबेडकर ने शुरूआती शिक्षा गांव में घोर गरीबी और दरिद्रता में प्राप्त की। इसके बावजूद अथक प्रयासों से उन्होंने एम.ए., पी.एचडी., डी.एस.टी., डी.लिट बार एट लॉ की डिग्रियां प्राप्त कीं और आगे चल कर भारत के संविधान को कलमबद्ध किया। इससे भारत के प्रत्येक नागरिक को वोट देने और वोट पाने का अधिकार मिला, अस्पृश्यता का उन्मूलन हुआ और सभी को शिक्षा के अलावा सरकारी सेवा और राजनीति में हर महिला और पुरुष को समान अवसर मिला।

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संविधान बनाने के बाद बाबा साहेब ने कहा कि ‘पहले भारत के शासक रानी के पेट से पैदा होते थे, अब मतपेटी से पैदा होंगे।’
उन्होंने देश में राजनीतिक शक्ति के महत्व को समझा और कहा कि राजनीतिक शक्ति वह कुंजी है, जिससे भारत में जाति व्यवस्था के कारण उत्पीड़ित लोग अपनी प्रगति और स्वाभिमान के सभी द्वार खोल सकते हैं। उन्होंने देश के पिछड़े वर्गों और नारी जाति के उत्थान के लिए कई कार्य किए।

इस संघर्ष के दौरान उनके 4 बच्चों राज रतन, रमेश, गंगाधर, इंदु (बेटी) और उनकी पत्नी रमाबाई का असामयिक निधन हो गया, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और देश की एकता, अखंडता और समानता के दुश्मनों से कभी डरे नहीं बल्कि उनका डटकर मुकाबला किया।

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उन्होंने हर पीड़ित को अपना समझकर उसके दुख दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने मजदूरों के जीवन को करीब से देखा। उन्होंने उत्पीड़ित लोगों की स्थिति को देख कर मानवाधिकारों के लिए विद्रोह का बिगुल फूंका और कहा कि काम करने की सच्ची स्वतंत्रता केवल वही है जहां शोषण को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया हो, जहां एक वर्ग ने दूसरे वर्ग पर अत्याचार नहीं किया हो, जहां बेरोजगारी न हो, जहां किसी भी व्यक्ति को अपना रोजगार तथा कारोबार खोने का भय न हो।

अंबेडकर जी हमेशा कहते थे , ‘पढ़ो-जुड़ो-संघर्ष करो।’ अर्थात मनुष्य पहले स्वयं शिक्षित तथा बुद्धिमान होकर एक जाग्रत दीपक बने क्योंकि एक शिक्षित तथा बुद्धिमान व्यक्ति हजारों अन्य लोगों का जीवन बदल सकता है। यही बाबा साहेब का मिशन था।
आज पूरे देश को उनके इन्हीं वचनों पर चलने की जरूरत है।  

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Content Writer

Niyati Bhandari

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