अमावस की रात को क्यों कहा जाता है निशाचरी?
punjabkesari.in Wednesday, Apr 22, 2020 - 09:34 PM (IST)
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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जिस तरह हिंदू धर्म में पूर्णिमा का अधिक महत्व है, ठीक उसी तरह अमावस्या तिथि को भी अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। जहां एक ओर अमावस्या तिथि के दिन पितर प्रसन्न करने के लिए कई उपाय आदि किए जाते हैं तो वहीं इस रात को कुछ मान्यताओं के अनुसार निशाचरी भी कहा जाता है। पर क्यों? क्योंकि अगर हिंदू धर्म की बात करें तो इसमें तो इस तिथि का अधिक महत्व बताया गया है। तो फिर क्यों इसे निशाचरी कहा जाता है। ठहरिए ठहरिए इससे पहले कि आप सोचने लगे। बता दें हम आपको इससे जुड़ी हर बात बताएंगे। दरअसल कहा जाता है कि कुछ ऐसी खास तिथियां होती हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इन्हीं तिथियों में से एक है अमावस्या तिथि।
हिंदू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या।
इनमें माह में पड़ने वाले 2 दिन सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं- पूर्णिमा और अमावस्या। जितना इन तिथियों को अधिक शुभ माना जाता है उतना ही इन 2 दिनों में यानि पूर्णिमा और अमावस्या के प्रति बहुत से लोगों में डर भी रहता है। खासतौर पर अमावस्या के प्रति ज्यादा भय होता है। बता दें वर्ष में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं। सभी का अलग-अलग महत्व है।
कब क्या होता है:
माना जाता है कि अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। प्रेत के शरीर की रचना में 25 प्रतिशत फिजिकल एटम और 75 प्रतिशत ईथरिक एटम होता है। इसी प्रकार पितृ शरीर के निर्माण में 25 प्रतिशत ईथरिक एटम और 75 प्रतिशत एस्ट्रल एटम होता है। अगर ईथरिक एटम सघन हो जाए तो प्रेतों का छायाचित्र लिया जा सकता है और इसी प्रकार यदि एस्ट्रल एटम सघन हो जाए तो पितरों का भी छायाचित्र लिया जा सकता है।
ज्योतिष में चन्द्र को मन का देवता माना गया है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में जो लोग अति भावुक होते हैं, उन पर इस बात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। लड़कियां मन से बहुत ही भावुक होती हैं। इस दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है।