अपने शब्दों का चयन हमेशा सतर्कतापूर्वक और सोच-समझ कर करें

punjabkesari.in Thursday, Dec 28, 2017 - 10:08 AM (IST)

हर बात सोचने की तो होती है, पर हर बात कहने की नहीं होती। इसलिए व्यवहार को प्रभावी बनाने के लिए शब्दों का चयन हमेशा सावधानी से करें। बुद्धिमान सोचकर बोलता है और बुद्धू बोलकर सोचता है। बुद्धिमान और बुद्धू में इससे अधिक फर्क नहीं है। इसलिए अपने शब्दों का चयन सावधानी से, सतर्कतापूर्वक करें और सोच-समझ कर बोलें।


जीभ तो आपकी अपनी ही है और इस पर नियंत्रण भी आपको ही रखना पड़ेगा। हमारी एक जीभ की रक्षा बत्तीस पहरेदार करते हैं लेकिन जीभ का अगर गलत उपयोग कर लिया तो बत्तीस पहरेदार (दांत) भी संकट में पड़ जाएंगे। यह अकेली ही बत्तीसी को तुड़वा सकती है। इसलिए गलत टिप्पणी न करें और न ही व्यंग्य के लहजे में अपनी बात को पेश करें। किसी को आप चार मिठाइयां भले ही न खिला सकें, लेकिन आपके चार मीठे बोल खाने को जायकेदार बना देंगे।


एक समय की बात है। एक किसान ने अपने पड़ोसी की खूब निंदा की, उसके बारे में अनर्गल बातें बोलीं। बोलने के बाद उसे लगा कि उसने कुछ ज्यादा ही कह दिया, गलत कर दिया। वह एक संत के पास गया और बोला, ‘‘मैंने अपने पड़ोसी की निंदा में बहुत उलटी-सीधी बातें कर दी हैं, अब उन बातों को कैसे वापस लूं?’’


संत ने उसे वहां बिखरे हुए पक्षियों के पंख इकट्ठे करके दिए और कहा कि शहर के चौराहे पर डालकर आ जाओ। जब किसान वापस आ गया तो संत ने कहा, ‘‘अब जाओ और इन पंखों को वापस इकट्ठे करके ले आओ।’’ किसान वापस गया लेकिन चौराहे पर एक भी पंख नहीं मिला। सब हवा में इधर-उधर बिखर चुके थे। वह खाली हाथ संत के पास लौट आया।


संत ने उसकी बात सुन कर कहा, ‘‘यही जीवन का विज्ञान है कि जैसे पंखों को इकट्ठा करना मुश्किल है, वैसे ही बोली हुई वाणी को लौटाना हमारे हाथ में नहीं है। जिस प्रकार एक बार कमान से निकला तीर वापस कमान में नहीं लौटता, ठीक उसी प्रकार एक बार मुंह से निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं लौटाए जा सकते।’’


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