Ahoi Mata Chalisa: अहोई अष्टमी के दिन इस चालीसा के पाठ से बढ़ाएं अपने घर में खुशहाली
punjabkesari.in Saturday, Oct 11, 2025 - 02:39 PM (IST)

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Ahoi Mata Chalisa: अहोई अष्टमी का व्रत हर मां अपनी संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए रखती है। यह दिन माता पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है। इस वर्ष 13 अक्टूबर को यह व्रत रखा जाएगा। करवाचौथ की तरह ही यह व्रत भी उतना ही कठिन होता है। पूजा-पाठ के साथ-साथ इस दिन यदि अगर चालीसा का पाठ कर लिए जाए तो जीवन पहले से भी ज्यादा खुशनुमा हो जाता है। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि इस दिन कौन सी चालीसा का पाठ करने चाहिए।
अहोई माता की चालीसा
॥ दोहा ॥
अहोई माता विनति सुनो,
सेवक की रखो लाज।
संतान सुख समृद्धि दो,
पूरण हो सब काज॥
॥ चौपाई ॥
जय अहोई अंबे जगदम्बा।
सदा सहाय करो सुख कंबा॥
नारी तव व्रत करती प्यारी।
सुत सुख पाए सदा सुखकारी॥
निर्धन धनी, हीन सुख पावे।
दरिद्र मिटे, वैभव बरसावे॥
सिंहासिन तू जगत भवानी।
भक्त बचावन वाली रानी॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावा।
भक्त मनोवांछित फल पावा॥
पुत्रवती नारी सुख पावे।
पुत्रहीन के पुत्र बसावे॥
सुख सम्पत्ति देहि जगदम्बा।
दुख दरिद्र मिटे सब कंबा॥
अष्टमी तिथि व्रत जो नारी।
करहि श्रद्धा सहित तैयारी॥
सदा सुहागिन वह नारी होई।
कृपा करें जगजननि अहोई॥
॥ दोहा ॥
अहोई माता की कृपा,
रहे सदा परिवार।
संतान सुख वैभव बढ़े,
मिटे पाप संहार॥
चालीसा पाठ का महत्व और नियम
चालीसा पाठ का महत्व:
संतान को लंबी आयु: माना जाता है कि इस चालीसा के पाठ से अहोई माता प्रसन्न होती हैं और अपनी संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं।
घर में खुशहाली: चालीसा में परिवार में प्रेम, सुख, समृद्धि और उजियारा बनाए रखने की प्रार्थना की गई है। इसके नियमित पाठ से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
कष्टों से मुक्ति: यह चालीसा ग्रह-दोष, विपदाओं और संकटों से संतान और पूरे परिवार की रक्षा करने में सहायक मानी जाती है।
मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन और श्रद्धा से चालीसा पढ़ने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।