Ahoi Ashtami 2025: 13 या 14 अक्टूबर, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के साथ जानें कब है अहोई अष्टमी व्रत
punjabkesari.in Wednesday, Oct 08, 2025 - 06:46 AM (IST)

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Ahoi Ashtami 2025 kab hai: अहोई अष्टमी केवल एक व्रत नहीं बल्कि मातृत्व की शक्ति और आस्था का प्रतीक है। यह पर्व सिखाता है कि श्रद्धा, संकल्प और सच्चे मन से की गई प्रार्थना से हर असंभव कार्य संभव हो सकता है। जो महिलाएं अहोई माता की पूजा पूरे मनोयोग से करती हैं, उनके जीवन में संतान सुख, समृद्धि और खुशहाली स्थायी रूप से बनी रहती है।
Ahoi Ashtami 2025 Date and Time अहोई अष्टमी 2025 कब है ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख और दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है।
इस वर्ष 2025 में अहोई अष्टमी सोमवार, 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर 2025, रात 12:24 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2025, रात 11:09 बजे
अहोई माता पूजा मुहूर्त: शाम 5:53 बजे से 7:08 बजे तक
तारों के दर्शन और अर्घ्य का समय: शाम 6:17 बजे तक
पारण का समय: रात्रि में तारों के दर्शन के बाद, अर्घ्य अर्पण कर व्रत का पारण किया जाता है।
Ahoi Ashtami Puja Vidhi 2025 अहोई अष्टमी पूजा विधि: सुबह स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान के बाद, महिलाएं अहोई माता का व्रत करने का संकल्प लेती हैं, “मैं अहोई माता की पूजा करूंगी और अपनी संतान की रक्षा एवं दीर्घायु की प्रार्थना करूंगी।”
अहोई माता का चित्र या दीवार पर आकृति बनाना: पूजा स्थान पर अहोई माता की तस्वीर या मिट्टी से बनी आकृति स्थापित की जाती है। इसमें सात पुत्र, स्याऊ और सिंह का चित्र अवश्य बनाते हैं।
दीप जलाना और पूजन सामग्री सजाना: दीपक, कलश, दूध, रोली, चावल, फूल, फल, और मिठाइयां रखी जाती हैं। कलश में जल भरकर मां अहोई के सामने स्थापित किया जाता है।
अहोई माता की कथा सुनना: शाम के समय महिलाएं अहोई माता की व्रत कथा सुनती हैं और माता से संतान के मंगल जीवन की कामना करती हैं।
तारों को अर्घ्य देना: रात में तारों के दर्शन कर दूध और जल से अर्घ्य अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि तारों के दर्शन से ही व्रत पूर्ण होता है।
पारण (व्रत खोलना): अर्घ्य के बाद महिलाएं सात्विक भोजन कर व्रत का पारण करती हैं।