क्या है प्रलय, अनोखा है इससे जुड़ा रहस्य जानकर हो जाएंगे हैरान!

punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 06:20 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रलय, संपूर्ण सृष्टि का सर्वथा विनाश। अक्सर प्रलय का यही अर्थात सुनने में आता है। कहा जाता है धार्मिक शास्त्रों में भी कहा गया है कि एक दिन प्रलय से संपूर्ण सृष्टि सर्वथा लीन हो जाएगी और उसका विनाश हो जाएगा। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि प्रलय के दौरान प्रकृति सर्वथा लीन होगी, सृष्टि का सर्वनाश हो जाएगा तथा संपूर्ण पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी। यही कारण है कि दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति कई इस शब्द से डरता है। दुनिया में आने वाली छोटी-मोटी प्राकृतिक आपदाओं को भी लोगों ने प्रलय का नाम दे रखा है। मगर सोचने वाली बात ये है कि आख़िर प्रलय क्या है? हिंदू धर्म में प्रलय का किस तरह से उल्लेख किया गया? क्या जैसे हम सोचते हैं क्या असल में वो ही प्रलय है? या फिर इसके विभिन्न रूप हैं। चलिए आज जानते हैं प्रलय का असली तात्पर्य।
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प्रलय क्या है? 
जैसे कि हमने उपरोक्त बताया, ज्यादातर लोग प्रलय का सिर्फ एक मतलब जानते हैं परंतु सनातन धर्म में प्रलय को चार तरह का बताया गया है। जी हां, इसके अनुसार नित्य प्रलय, दूसरा आत्यन्तिक प्रलय, तीसरा नैमित्तिक प्रलय तथा चौथा प्राकृत प्रलय होता है। अब यकीनन आप जानने चाहेंगे कि इनका अर्थ क्या है। तो ठहरिेए ज़रा सब्र रखिए क्योंकि हम आपको इससे जुड़ी सारी जानकारी देने वाले हैंं। इसके अतिरिक्त बताया ये भी जाता है कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, चार युग होते हैं, हर युग के अंत में प्रलय आती है। 

नित्य प्रलय 
धार्मिक पुराणों के अनुसार व्यक्ति जब जन्म लेता है और फिर जब उसकी मृत्यु हो जाती है, उसको नित्य प्रलय कहा जाता है जिसका अर्थात हुआ कि व्यक्ति का जन्म लेना और फिर उसका मर जाना नित्य प्रलय है। इस प्रलय से न कोई बच पाया है न कोई आने वाले समय में कोई बच सकता है। इसके अलावा जब व्यक्ति सोता है, उठता है, उसको भी नित्य प्रलय कहा जाता है। अर्थात मनुष्य के सोने के बाद और सोने से पहले के समय को भी एक प्रलय काल माना जाता है। इसका कारण यह है कि इस समय मनुष्य की कोई चेतना और अनुभूति नहीं रहती।
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आत्यंतिक प्रलय 
जब मनुष्य को परम तथा पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है, जो व्यक्ति योग साधना में लीन होकर अपनी आत्मा को शुद्ध कर लेता है और ब्रह्म रूप में लीन हो जाता है। तब वह व्यक्ति जीवन-मृत्यु के चक्कर से मुक्त हो जाता है। यानि मोक्ष प्राप्त करता है, वह प्रकृति और प्रलय के चक्कर से बाहर हो जाता है।शास्त्रों में इस अवस्था को ही आत्यंतिक प्रलय के नाम से जाना जाता है।

नैमित्तिक प्रलय
विष्णु पुराण में कहा गया है कि किसी निमित्त के कारण जो प्रलय आती है, उसको नैमित्तिक प्रलय के नाम से जाना जाता है। धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है लाखों युग का एक महायुग होता है और एक हज़ार महायुगों के बीतने पर भगवान ब्रह्मा का एक दिन होता है। जब ब्रह्माजी का एक दिन समाप्त होता तब जो प्रलय आती है, उसे नैमित्तिक प्रलय कहा जाता है। 

प्राकृत प्रलय 
हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की है, जिनकी आयु 100 साल की बताई गई है। ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं जब उनके 100 साल पूरे होने पर जो प्रलय होती है, वह प्राकृत प्रलय कहलाती है।
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Jyoti

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