शारदीय नवरात्रि अष्टमी: शाम को करें इन मंत्रों का जप, मिलेगी हर रोग से मुक्ति
punjabkesari.in Monday, Oct 03, 2022 - 05:17 PM (IST)

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शारदीय नवरात्रि का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाए जाने वाला पर्व है। इन दिनों में माता के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित है और इस दिन मां की पूजा कर उनका आशीर्वाद पाया जाता है। जैसा कि इनके नाम से साफ-स्पष्ट होता है महागौरी अर्थात पूर्ण रूप से सफेद। धार्मिक ग्रंथों में किए उल्लेख के अनुसार इनके वस्त्र सफेद रंग के हैं और साथ ही आभूषण भी श्वेत ही हैं इसी वजह से मां महागौरी को श्वेतांबरी के नाम से भी जाना जाता है। मां का वाहन वृषभ (बैल) है। मां महागौरी के एक हाथ में त्रिशूल है, दाहिना हाथ अभयमुद्रा मे हैं। उसी तरह बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू है और नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। ऐसा कहा जाता है कि इनकी पूजा से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और अच्छे फल की प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं में ये वर्णित है कि इन्होंने कठिन तप कर गौर वर्ण प्राप्त किया था। तब से ही मां को उज्जवला स्वरूप महागौरी, धन-ऐश्वर्य प्रदान करने वाली, शारीरिक व मानसिक कष्ट हरने वाली माता महागौरा का नाम दिया गया है। कहा जाता है कि इनके मंत्रों के जाप से दुख दूर भाग जाते हैं व जीवन में सुख का आगमन होता है। तो चलिए आपको बाते हैं कौनसे हैं मां महागौरी के मंत्र-
महागौरी देवी मंत्र-
श्वेते वृषे समारूढा,श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।
अर्थात्- सफेद वृषभ (बैल) पर सवारने वाली, श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, सबसे पवित्र व महादेव को अपनी भक्ति से प्रसन्न करने वाली मां महागौरी हम सबका भला करो।
मां महागौरी बीज मंत्र-
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम
मां महागौरी स्तोत्र-
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
स्तोत्र मंत्र-
सर्वसंकट हंत्रीत्वंहिधन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदाचतुर्वेदमयी,महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
सुख शांति दात्री, धन धान्य प्रदायनीम्।
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मां महागौरी कवच-
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, ह्रदयो। क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
मां महागौरी ध्यान मंत्र-
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
स्तोत्र पाठ सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥