क्या आप भगवान का दुख दूर करके नरकों का दंड भोग सकते हैं?

punjabkesari.in Monday, Sep 21, 2015 - 07:28 AM (IST)

श्री राधिका जी सर्वेश्वर भगवान श्री कृष्ण की सर्वेश्वरी शक्ति, उनकी समस्त विद्याओं में सनातनी विद्या एवं प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं। यह वर्णन हमें गर्ग संहिता से प्राप्त होता है।  श्री राधा जी की कृपा से सहज ही परमधाम की प्राप्ति होती है। श्री कृष्ण वल्लभा, वृषभानुसुता, भवव्याधिनाशिनी, श्री राधा जी का नाम लिए बिना जो श्री कृष्ण की उपासना करता है वह मूढ़ है, शुकदेव जी को भगवान श्री कृष्ण जी से मिलाने वाली श्री राधा जी हैं। श्री राधा जी शुकदेव जी की गुरु हैं। शुकदेव जी सदा राधा-राधा नाम ही रटा करते थे। भगवान श्री कृष्ण जी को राधा नाम अत्यंत प्रिय है।

एक समय भगवान श्री कृष्ण ने अपने अस्वस्थ होने का स्वांग किया। वैद्यों द्वारा उपचार न होने पर भगवान श्री कृष्ण बोले कि मेरे परम प्रिय की चरण धूलि ही मेरे उपचार का निवारण है। रुक्मिणी इत्यादि रानियों ने अपने प्रिय को चरण धूली देकर पाप का भागी बनने से मना कर दिया। 

अंतत: जब श्री राधा जी को इस संबंध में पता चला तो उन्होंने तुरंत अपने परम प्रिय गोविंद भगवान के लिए अपनी चरण धूलि यह कह कर दे दी कि भले ही मुझे नरकों का दंड भोगना पड़े, मैं अपने प्रिय पुराण पुरुषोत्तम भगवान के लिए चरण धूलि अवश्य दूंगी।


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