चाणक्य की इन बातों को ध्यान में रखने से हर Student बन सकता है सम्राट

punjabkesari.in Wednesday, Dec 23, 2015 - 10:53 AM (IST)

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में जीवन के गूढ़ रहस्य बताएं हैं। उन नीतियों का अनुसरण करके साधारण बालक चन्द्रगुप्त सम्राट बना। उसके बाद अशोक ने भी उन्हें अपना गुरू मान उनकी शिक्षाओं को अपनाया और महान सम्राट बनने का गौरव प्राप्त किया। कोई भी विद्यार्थी उनकी नीतियों को ध्यान में रखेगा तो जीवन के प्रत्येक पग पर सफलता प्राप्त करेगा और भविष्य में सम्राट भी बन सकता है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं की-
कामक्रोधौ तथा लोभं स्वायु श्रृड्गारकौतुरके।
अतिनिद्रातिसेवे च विद्यार्थी ह्मष्ट वर्जयेत्।।
अर्थात: 
विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त इधर-उधर ध्यान नहीं भटकना चाहिए विशेष रूप से काम भावनाओं की तरफ क्योंकि इस ओर एक बार आकर्षण हो जाए तो मन अशांत रहने लगता है। 
 
जिस विद्यार्थी का मन स्वयं को सजाने-संवारने में लगा रहता है वह अपनी पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान नहीं दे पाता। उसके मन में अधिक से अधिक सुंदर बनने की चाह रहती है।
 
विद्यार्थी में गंभीरता होना अवश्यक है। हंसी-मजाक भी जीवन का अनिवार्य अंग है लेकिन व्यर्थ की हंसी-ठिठोली करने वाला छात्र मन को स्थिर नहीं कर पाता।
 
अवश्यकता से अधिक नींद लेने वाला विद्यार्थी आलसी प्रवृति का हो जाता है। जिससे की वह हाथ आए अवसरों का लाभ नहीं प्राप्त कर सकता। वह हमेशा ऐसे काम खोजता रहता है जिसमें उसे कम मेहनत करनी पड़े।
 
विद्यार्थी के मन में लोभ या लालच की भावना आ जाए तोे उसका भविष्य पतन की ओर जाना शुरू कर देता है क्योंकि विद्या के प्रति वह कभी सतर्क नहीं हो पाते। अपने लाभ के लिए लालची इंसान किसी भी हद तक चला जाता है। 
 
अपने शरीर का ध्यान रखना अच्छी बात है लेकिन अपनी शारीरिक सेवाओं के लिए विद्या पर ध्यान न देने वाला विद्यार्थी जीवन में कभी कामयाब नहीं हो पाता।
 
स्वादिष्ठ पदार्थों के चक्कर में पड़कर विद्यार्थी अपनी सेहत और पढ़ाई दोनों के साथ खिलवाड़ करता है।
 
क्रोध अग्नि के समान है जो विद्यार्थी का आज और कल दोनों जला देता है।  मन को शांत और एकाग्र करके पढ़ाई की तरफ ध्यान केंद्रित करना चाहिए। किसी भी समस्या का हल शांति से करना चाहिए।

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