चाणक्य नीति: रक्षा में असमर्थ होते हैं आलसी

punjabkesari.in Monday, May 30, 2016 - 01:47 PM (IST)

आलसस्य लब्धमपि रक्षितुं न शक्यते।

 

अर्थ : आलसी राजा प्राप्त वस्तु की रक्षा करने में असमर्थ होता है।

 

भावार्थ : जो राजा आलसी होता है वह अपने राज्य को क्षरित अर्थात दिन-प्रतिदिन क्षीण होने से नहीं रोक सकता।

 

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