Exams में 100% success के लिए Follow करें आचार्य चाणक्य के Rules

punjabkesari.in Wednesday, Feb 17, 2016 - 09:48 AM (IST)

स्कूल अथवा कालेज में परीक्षाओं का दौर आरंभ हो गया है। प्रत्येक विद्यार्थी अच्छे अंक पाने की चाह में मन लगा कर पढ़ाई में जुटा है। अर्थशास्त्र के रचयिता आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में विद्यार्थियों को एक सलाह दी है जिसे कोई भी विद्यार्थी अपनाकर पा सकता है मनचाही सफलता।

चाणक्य नीति के ग्यारहवें अध्याय में कहा गया है एक विद्यार्थी पूर्ण रूप से निम्न लिखित बातो का त्याग करे १. काम २. क्रोध ३. लोभ ४. स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा. ५. शरीर का शृंगार ६. अत्याधिक जिज्ञासा ७. अधिक निद्रा ८. शरीर निर्वाह के लिए अत्याधिक प्रयास

विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त इधर-उधर ध्यान नहीं भटकना चाहिए विशेष रूप से काम भावनाओं की तरफ क्योंकि इस ओर एक बार आकर्षण हो जाए तो मन अशांत रहने लगता है।  

जिस विद्यार्थी का मन स्वयं को सजाने-संवारने में लगा रहता है वह अपनी पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान नहीं दे पाता। उसके मन में अधिक से अधिक सुंदर बनने की चाह रहती है।

 विद्यार्थी में गंभीरता होना अवश्यक है। हंसी-मजाक भी जीवन का अनिवार्य अंग है लेकिन व्यर्थ की हंसी-ठिठोली करने वाला छात्र मन को स्थिर नहीं कर पाता। 

अवश्यकता से अधिक नींद लेने वाला विद्यार्थी आलसी प्रवृति का हो जाता है। जिससे की वह हाथ आए अवसरों का लाभ नहीं प्राप्त कर सकता। वह हमेशा ऐसे काम खोजता रहता है जिसमें उसे कम मेहनत करनी पड़े। 

विद्यार्थी के मन में लोभ या लालच की भावना आ जाए तोे उसका भविष्य पतन की ओर जाना शुरू कर देता है क्योंकि विद्या के प्रति वह कभी सतर्क नहीं हो पाते। अपने लाभ के लिए लालची इंसान किसी भी हद तक चला जाता है। 

 अपने शरीर का ध्यान रखना अच्छी बात है लेकिन अपनी शारीरिक सेवाओं के लिए विद्या पर ध्यान न देने वाला विद्यार्थी जीवन में कभी कामयाब नहीं हो पाता। 

स्वादिष्ठ पदार्थों के चक्कर में पड़कर विद्यार्थी अपनी सेहत और पढ़ाई दोनों के साथ खिलवाड़ करता है। 

क्रोध अग्नि के समान है जो विद्यार्थी का आज और कल दोनों जला देता है।  मन को शांत और एकाग्र करके पढ़ाई की तरफ ध्यान केंद्रित करना चाहिए। किसी भी समस्या का हल शांति से करना चाहिए।


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