विश्व टीकाकरण सप्ताहः स्वस्थ भविष्य के लिए बच्चों का टीकाकरण कराएं
punjabkesari.in Thursday, May 02, 2024 - 04:45 PM (IST)
चंडीगढ़ : टीकाकरण खतरनाक बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। यह पोलियो, टिटनस, खसरा और निमोनिया जैसी बीमारियों से बच्चों की रक्षा करता है। पिछले पचास सालों में टीकाकरण से प्रतिवर्ष 3 मिलियन लोगों की जान बचाई जा चुकी है, और यह बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाने की सबसे किफायती विधि है।
टीकाकरण की इस परिवर्तनकारी शक्ति का प्रदर्शन भारत से चेचक के उन्मूलन और पोलियो एवं माँ और शिशु को टिटनस से बचाने में मिली सफलता से हुआ है। पैरालिसिस, निमोनिया और दिमाग का संक्रमण करने वाली गंभीर बीमारियों को रोककर टीकाकरण न केवल लोगों की जान बचाता है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार भी लाता है। बीमारियों की रोकथाम से परिवारों पर वित्तीय बोझ कम होता है, और समुदायों में मजबूती आती है।
हाल ही में मिले डेटा से हमारे क्षेत्र में टीकाकरण के कवरेज में काफी प्रगति प्रदर्शित हुई है।
इस प्रगति का नेतृत्व 100 प्रतिशत टीकाकरण कवरेज के साथ चंडीगढ़ कर रहा है, जिसके बाद 95 प्रतिशत कवरेज के साथ पंजाब और हरियाणा का स्थान है। ये आँकड़े मिशन इंद्रधनुष जैसे अभियानों के साथ सघन प्रयासों का प्रमाण हैं, जिनसे टीकाकरण की दर को बढ़ाने के लिए लक्ष्य पर केंद्रित प्रयासों की परिवर्तनकारी क्षमता को बल मिलता है।
पिछले सालों में टीकाकरण कवरेज का सफर निरंतर प्रगति की कहानी कहता है। सघन प्रयासों की मदद से टीकाकरण द्वारा रोकी जा सकने वाली बीमारियों में तीव्र गिरावट देखी गई है, और बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण में सुधार आया है। शिशु की मृत्युदर, जो एक समय काफी ज्यादा थी, वह प्रति 1000 जन्मों पर 120 से गिरकर 25 हो गई है, जो बच्चों के स्वास्थ्य में टीकाकरण के परिवर्तनकारी प्रभाव का प्रतीक है।
मिशन इंद्रधनुष जैसे अभियान वैक्सीनेशन का कवरेज बढ़ाने का सरकार का दृढ़ संकल्प प्रदर्शित करते हैं, ताकि बच्चों को एक उज्जवल और स्वस्थ भविष्य दिया जा सके। डॉ. नीरज कुमार, एचओडी एवं चीफ कंसल्टैंट, पीडियाट्रिक्स, मदरहुड चैतन्य हॉस्पिटल, सेक्टर 44, चंडीगढ़ के मुताबिक, ‘‘मिशन इंद्रधनुष की मदद से सरकार हमारे देश में टीकाकरण का कवरेज बढ़ाने और सभी बच्चों के लिए नए-नए टीकाकरण शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘कोविड के बाद भारत दुनिया में एक टीका निर्माण केंद्र बन गया है। इसलिए अब ज्यादातर टीके या तो भारत में बनाए जा रहे हैं, या फिर जल्द ही भारत में बनाए जाने लगेंगे। वर्तमान में लगभग 20 बीमारियों के लिए टीके उपलब्ध हैं, जिनमें से अधिकांश बीमारियाँ संक्रामक हैं, और एक टीका कैंसर की रोकथाम के लिए है।
इनमें से यूआईपी का सरकारी कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर लगभग नौ टीके पेश करता है और कुछ राज्यों में तीन वैकल्पिक टीके प्रदान करता है। ये सभी टीके प्राईवेट केंद्रों में उपलब्ध हैं। और मुझे विश्वास है कि कुछ सालों में सरकार ज्यादा से ज्यादा टीकों को अपने शेड्यूल में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि ये सभी बच्चों को उपलब्ध हो सकें। इसी प्रकार अगले कुछ सालों में कई नए टीकों का विकास कर लिया जाएगा और हमारे देश में उन्हें शुरू कर दिया जाएगा। ये टीके मुख्यतः डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों के लिए होंगे और इनमें कुछ मौजूदा टीकों के बेहतर रूपांतर भी शामिल होंगे। इसलिए टीकाकरण का भविष्य आकर्षक है, और इससे हमारे देश के बच्चों को एक बेहतर जीवन जीने में मदद मिलेगी।’’