स्मोकिंग, एग्ग और स्पर्म हेल्थ को कैसे प्रभावित करती है

punjabkesari.in Friday, Mar 28, 2025 - 10:33 AM (IST)

चंडीगढ़। कई अलग अलग डिटेल में की गई स्टडीज से संकेत मिलता है कि स्मोकिंग पुरुषों और महिलाओं दोनों में फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। वहीं ये भी देखा गया है कि स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में स्मोकिंग करने वालों में रीप्रोडक्टिव संबंधी समस्याओं की संभावना 60% अधिक होती है। स्मोकिंग कई फर्टिलिटी हेल्थ समस्याओं का कारण बनता है, जो एग्ग और स्पर्म की क्वालिटी और ओवरऑल फर्टिलिटी फंक्शन दोनों को प्रभावित करता है। साथ ही, खासकर आईवीएफ प्रेगनेंसी के मामले में स्मोकिंग अलग अलग मुश्किलों को पैदा करने की संभावना को बढ़ाती है। डॉ.राखी गोयल, आईवीएफ स्पेशलिस्ट, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, चंडीगढ़  ने यहाँ जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओं में, स्मोकिंग एग्ग की क्वालिटी खराब करने में योगदान दे सकता है, जिससे गर्भधारण करने में कठिनाई होती है। रिसर्च से पता चलता है कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं में उनकी ओवेरियन रिजर्व लगभग 20% तक कम हो सकता है, और यदि ट्रीटमेंट के दौरान धूम्रपान किया जाए तो इम्प्लांटेशन रेट और चल रही प्रेग्नेंसी रेट में 50% तक की कमी हो सकती है। धूम्रपान मेन्स्ट्रुअल साइकिल्स को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे महिलाओं को समय से पहले मेनोपॉज का सामना करना पड़ सकता है।

अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, स्मोकिंग करने से महिलाओं में नॉन-स्मोकर्स की तुलना में 1-4 साल पहले मेनोपॉज हो सकता है। स्मोकिंग से गर्भावस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, और यह फैलोपियन ट्यूब के फंक्शन को भी बाधित करता है,  जिससे एक्टोपिक गर्भधारण का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, स्मोकिंग करने वालों को गर्भवती होने में अधिक समय लग सकता है क्योंकि मेन्स्ट्रुअल साइकिल्स के अनुसार सफल गर्भधारण की संभावना कम होती है। ये प्रतिकूल प्रभाव आईवीएफ ट्रीटमेंट में भी देखे जाते हैं, क्योंकि धूम्रपान एम्ब्रियो के विकास को बाधित करता है और सफल इम्प्लांटेशन की संभावना को कम कर देता है।

पुरुषों में, स्मोकिंग से स्पर्म काउंट कम हो जाता है, गतिशील स्पर्म की संख्या घट जाती है और असामान्य स्पर्म की संख्या बढ़ जाती है। स्मोकिंग से प्रेरित ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस स्पर्म डीएनए के लिए हानिकारक है जिससे स्पर्म की क्वालिटी कम हो जाती है। एक स्टडी से पता चलता है कि जो पुरुष दिन में 20 से अधिक सिगरेट पीते हैं, उनमें स्पर्म्स की मात्रा में 19% की कमी होती है। स्टडीज से यह भी पता चलता है कि स्मोकिंग करने वालों की तुलना में गैर-स्मोकिंग करने वालों में स्पर्म्स की डेंसिटी, संख्या और गतिशीलता कम होती है। स्पर्म डीएनए इंटीग्रिटी में यह कमी सफल फर्टिलाइजेशन की संभावनाओं को  गंभीर रूप से कम करती है। प्राकृतिक रूप से या असिस्टड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) के माध्यम से गर्भधारण करने की कोशिश करते समय, संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए स्मोकिंग छोड़ देना चाहिए। रिसर्च से पता चलता है कि स्मोकिंग छोड़ने के कुछ महीनों के भीतर स्पर्म की क्वालिटी में सुधार हो सकता है।

यहां तक कि पैसिव स्मोकिंग भी हानिकारक हो सकता है, जिसके प्रभाव एक्टिव स्मोकिंग के लगभग उतने ही गंभीर हो सकते हैं। रिसर्च से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान पैसिव स्मोक के संपर्क में आने से न केवल जन्म के वजन पर असर पड़ता है, बल्कि एग्ग की क्वालिटी पर भी असर पड़ता है, जिससे गर्भधारण में देरी, अनियमित मासिक धर्म, समय से पहले गर्भावस्था का खत्म होना, समय से पहले जन्म और जन्म दोष हो सकते हैं। 

स्मोकिंग को खत्म करने से पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है, भले ही फर्टिलिटी क्षमता को सामान्य होने में लगने वाला समय स्मोकिंग की अवधि और प्रतिदिन पी गई सिगरेट की संख्या पर निर्भर करता है। अपने जीवन से स्मोकिंग छोड़ना भविष्य की फर्टिलिटी क्षमता की बेहतरी के लिए अधिक अवसर प्रदान करता है। एक पुरुष और एक महिला जितने लंबे समय तक तंबाकू से दूर रहते हैं, उनकी फर्टिलिटी क्षमता और ओवरऑल फर्टिलिटी हेल्थ उतना ही बेहतर होता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Diksha Raghuwanshi

Related News