पी.जी.आई. रोहतक में नेजल को-वैक्सीन के तीसरे ट्रायल में 37 वालंटियर्स को मिलेगी दूसरी डोज

punjabkesari.in Sunday, Jun 19, 2022 - 07:33 PM (IST)

चंडीगढ़,(अर्चना सेठी): कोरोना वायरस के खात्मे में नेजल को-वैक्सीन रामबाण साबित हो सकती है? कोवैक्सीन इंजैक्शन से नेजल वैक्सीन कितनी बेहतर है, यह जानने के लिए हरियाणा के पी.जी.आई. रोहतक में क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण के तहत अगले सप्ताह से लोगों को दूसरी डोज दी जाएगी। नेजल वैक्सीन के तीसरे ट्रायल के लिए 37 लोगों को पी.जी.आई. ने खोज कर महीना भर पहले नेजल वैक्सीन की पहली डोज दी थी। नेजल ट्रायल के लिए 18 से 65 साल की उम्र के ऐसे लोगों को चयन किया गया था, जिन्होंने कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं ली थी। क्लीनिकल ट्रायल में भारत बायोटैक की को-वैक्सीन के नेजल वैक्सीन को शामिल किया गया है। नेजल वैक्सीन और बाजू में लगाए जाने वाले टीके में से कौन सी वैक्सीन बेहतर है यह जानने के लिए पी.जी.आई. में स्टडी की जा रही है। 

 


नाक के रास्ते वायरस करता है शरीर में प्रवेश
पी.जी.आई. रोहतक के फार्माकोलॉजी डिपार्टमैंट की विशेषज्ञ प्रो. सविता वर्मा का कहना है कि कोरोना वायरस नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद वायरस संक्रमण फैलाता है। अगर नाक के उसी हिस्से में इंट्रा नेजल कोवैक्सीन दे दी जाए तो संक्रमण को वहीं पर खत्म किया जा सकता है। नाक के रास्ते से संक्रमण को रोकना ज्यादा आसान हो सकता है। प्रो. वर्मा का कहना है कि ट्रायल के लिए सबसे बड़ी चुनौती ऐसे लोगों की पहचान थी जिन्होंने कोई भी वैक्सीन नहीं ली थी। आंगनबाड़ी वर्कर्स और गांव के लोगों के सहयोग से करीब 40 लोगों की पहचान की गई। यह वही लोग हैं जो वैक्सीन के दुष्प्रभावों से ङ्क्षचतित होकर खुद को वैक्सीन से दूर रखे हुए थे। पी.जी.आई. रोहतक के ट्रायल में कोविड-19 के स्टेट नोडल ऑफिसर डा. ध्रुव चौधरी, प्रो. सविता वर्मा, डा. रमेश वर्मा और डा. पवन शामिल हैं।

 


28 दिन बाद दी जा रही है दूसरी डोज 
प्रो. सविता ने बताया कि नेजल वैक्सीन के ट्रायल देशभर में चल रहे हैं। देश के 3000 वालंटियर्स को ट्रायल का हिस्सा बनाया गया है। प्रदेश में सिर्फ रोहतक ही ऐसा संस्थान है जहां नेजल वैक्सीन के ट्रायल किए जा रहे हैं। वालंटियर को ट्रायल के दौरान दो डोज दी जा रही हैं। पहली डोज के बाद 28 दिन के अंतराल पर दूसरी डोज दी जा रही है। पहली डोज से पहले वालंटियर के कोरोना टैस्ट और दूसरे स्वास्थ्य से संबंधित टैस्ट किए गए थे। नेजल वैक्सीन देने के बाद वालंटियर्स पर 6 महीने से लेकर एक साल तक नजर रखी जाएगी। 

 


नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है वायरस
प्रो. सविता ने कहा कि वायरस और कीटाणु किसी भी शरीर को संक्रमित करने से पहले नाक के म्युकोसा पर सबसे पहला अटैक करते हैं। म्युकोसा में जगह बनाने के बाद ही वह शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं। अगर म्युकोसा शुरूआत में ही वायरस को बेसुध कर दे, तो वायरस शरीर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता और शरीर भी संक्रमण रहित बन जाता है। ऐसा भी देखा जाता है कि नाक के रास्ते मिली थोड़ी सी भी एंटीजन की मात्रा रोग प्रतिरोध क्षमता में इजाफा करती है। यह क्षमता शरीर के दूसरे अंगों की सुरक्षा भी बढ़ाता है। प्रो. वर्मा ने कहा कि कुछ लोग इंजैक्शन से डरते हैं, उन्हें लगता है कि इंजैक्शन की सुई दर्द देगी।   

 


पी.जी.आई. रोहतक समेत 6 संस्थानों में चल रहा है ट्रायल
नेजल वैक्सीन का तीसरा ट्रायल पी.जी.आई. रोहतक समेत दिल्ली के एच.आई.एम.एस.आर. और एच.ए.एच.सी.एच., कर्नाटक के कस्तूरबा मैडीकल कालेज, महाराष्ट्र के के.ई.एम. हॉस्पिटल रिसर्च सैंटर, आंध्र प्रदेश के किंग जार्ज अस्पताल, ओडिसा के मैडीसिन इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंस एंड एस.यू.एम. अस्पताल में ट्रायल किए जा रहे हैं। 
 


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News Editor

Ajay Chandigarh

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