तंबाकू के वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित विकल्पों के लिए प्रगतिशील नीतियां जरूरी : फ्रेडरिक डि विल्ड
punjabkesari.in Thursday, Mar 13, 2025 - 06:06 PM (IST)

हाल ही में आयोजित ग्लोबल बिजनेस समिट में फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल (पीएमआई) के एसएसईए, सीआईएस और एमईए क्षेत्र के प्रेसिडेंट फ्रेडरिक डि विल्ड ने उन लोगों के लिए कम हानिकारक विकल्पों को लाने के लिए नियमों में बदलाव करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो धूम्रपान नहीं छोड़ते हैं। उन्होंने वैज्ञानिक नवाचार की भी बात की। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी बढ़ते हुए उद्योग के लिए सबसे बड़ी मुश्किल नियम-कानून होते हैं। हम देख रहे हैं कि पूरी दुनिया में तंबाकू उद्योग बदल रहा है। विज्ञान और तकनीक इस उद्योग को चलाने के तरीकों को बदल रहे हैं। लेकिन, अगर हमें लंबे समय तक अच्छा असर डालना है, तो इस उद्योग को ऐसी नीतियां चाहिए जो आज की असली ज़रूरतों और नए विचारों को दर्शाती हों। इससे पूरे तंबाकू उद्योग में आधुनिकता आएगी, बदलाव होगा और नए निवेश बढ़ेंगे। इससे भारत भी दुनिया में एक ज़रूरी भागीदार बन जाएगा।
सभा को संबोधित करते हुए, डि विल्ड ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विज्ञान-आधारित निर्णय और नियम कैसे किसी भी उद्योग को बदल देते हैं और नए आर्थिक अवसर खोलते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी से लेकर डिजिटल फाइनेंस तक, विभिन्न उद्योगों में जिन देशों ने अपने नियमों को आधुनिक बनाया है, उन्होंने तेजी से आर्थिक विकास और मजबूत वैश्विक स्थिति देखी है।
पीएमआई के बदलाव के बारे में बात करते हुए, डि विल्ड ने कहा, "20 साल पहले, हमारी कंपनी ने सोचा कि तंबाकू के काम करने का तरीका बदलना चाहिए। क्योंकि, लोगों की ज़रूरतें बदल रही थीं और विज्ञान भी तरक्की कर रहा था। हमें पता चला कि सिगरेट पीते वक्त जलने से धुआँ निकलता है, वही सबसे ज़्यादा नुकसान करता है। इसलिए हमने इसे खत्म करने के लिए अनुसंधान और नवाचार पर फोकस किया। हमने नए तरीके लाने और कम नुकसान वाले विकल्पों के बारे में लोगों को बताने के लिए 14 बिलियन डॉलर खर्च किए। हमने 500 से ज़्यादा शीर्ष वैज्ञानिकों को काम पर रखा और एक मजबूत रिसर्च बेस बनाया। हमने यह पक्का किया कि जो भी नया तरीका हम लाएँ, वो सही जानकारी और स्पष्ट तरीके से बनाया गया हो। 10 साल पहले, हमने दुनिया भर की सरकारों के साथ मिलकर ये नए विकल्प लॉन्च किये। इसका नतीजा ये हुआ कि कई देशों में सिगरेट पीने वालों की संख्या कम हो रही है, और लोग नए विकल्प अपना रहे हैं।
डि विल्ड ने इस बात पर जोर दिया कि यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में नियमों को आधुनिक बनाने से धूम्रपान के मामलों में कमी आई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘जापान में, कम हानिकारक विकल्पों के आने से जलने वाली सिगरेट का बाजार आधा हो गया है। रोम में, हर तीन धूम्रपान करने वालों में से एक ने दूसरे विकल्पों को अपना लिया है, जो एक बड़ा व्यवहारिक बदलाव दर्शाता है। स्वीडन यूरोप में सबसे कम धूम्रपान दर सिर्फ 5% के साथ सबसे आगे है, और वहां युवाओं में धूम्रपान लगभग ना के बराबर है। स्वास्थ्य के नजरिए से, स्वीडन में पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर की सबसे कम घटनायें दर्ज की गई हैं, जो नियमों को आधुनिक बनाने और विकल्पों की उपलब्धता के सकारात्मक प्रभाव को दिखाती हैं।’’
भारत के नियम-कायदों और आर्थिक स्थिति पर फोकस करते हुए, डि विल्ड ने तकनीक, फाइनेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर में नीति-आधारित विकास के लिए भारत की प्रशंसा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की नियामकीय स्पष्टता ने निवेश को बढ़ावा दिया है, नवाचार को प्रोत्साहित किया है और व्यापारिक साझेदारियों को मजबूत किया है।" ‘‘भारत विभिन्न उद्योगों में नियमों को आधुनिक बनाने में अग्रणी रहा है। रिन्यूएबल एनर्जी से लेकर डिजिटल भुगतान तक, प्रगतिशील नीतियों ने आर्थिक बदलाव को तेज़ किया है। अगला कदम यह सुनिश्चित करना है कि वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित उद्योग भी इस प्रगति में योगदान दे सकें।’’