मिल्ट्री लिट्रेचर फैस्ट : सेना के सबसे पुराने घोड़े ओल्ड मोंक पर टिकी रहीं निगाहें

punjabkesari.in Wednesday, Dec 06, 2017 - 08:54 AM (IST)

चंडीगढ़ (लल्लन): मिल्ट्री लिट्रेचर फैस्ट में जवानों के सम्मान के लिए अनेक कार्यक्रमों की तैयारियां जारी हैं। इसमें होर्स राइडिंग और पैरा ग्लाइडिंग देखने को मिलेगी। हालांकि इसमें सबसे अहम मुकाबला होर्स राइडिंग को माना जा रहा है, इसमें सबकी नजरें सेना के सबसे पुराने घोड़े ओल्ड मोंक पर टिकी हैं। घोड़ा अब तक करीब 3 से अधिक नैशनल प्रतियोगिता में जीत दर्ज कर चुका है। सेना के बी-9 नंबर का ओल्ड मोंक वाइन रेड कलर का 9 वर्षीय घोड़ा है, जिसकी ऊंचाई करीब 7 फीट है। ओल्ड मोंक 5 फीट ऊंचा जम्प मार लेते है। यह सेना में साल -2013 में ओल्ड मोंक सेना की घुड़सवार रैजीमैंट में आया था। तभी से इसकी ट्रेनिंग सुबेदार रणजीत सिंह और सिपाही भिवानी के पास हो रही है।

 

सुबेदार रणजीत सिंह ने बताया कि ओल्ड मोंक सेना के हॉर्स फार्म में तैयार किया गया बेहतर नस्ल का घोड़ा है। इसकी नस्ल ए-जैड है। ए शब्द ओल्ड मोंंक के बाप के नाम से लिया गया है। ओल्ड मोंक के बाप का नाम आजाद था। आजाद ने भी सेना में रहकर देश की सेवा की और जंपिंग हॉर्स के नाते कई प्रतियोगिताओं में पदक जीते। सेना के अधिकारी आशीष चावला ने बताया कि ओल्ड मोंक ने सेना में आने से पहले छह महीने जंपिंग की ट्रेनिंग ली। इसके बाद अब यह राइड-ए घोड़ा बना। 

 

यह है ओल्ड मोंक की डाइट
ओल्ड मोंक की देखरेख करने वाले भिवानी सिंह ने बताया कि ओल्ड मोंक को गाजर, गोभी, सोयाबीन, काले चने और चोकर खाने में दिया जाता है। इसके अलावा रोज एक किलो सरसों का तेल भी उसे दिया जाता है। सबसे ज्यादा उसे जेई और गुड पसंद है। फैस्ट की तैयारी के लिए होर्स राइडिंग के दौरान जम्प के दौरान कई सेना के जवान प्रैक्टिस के दौरान घोड़े से गिर रहे है फिर भी उनकी हिम्मत कम नहीं हो रही। ऐसा ही नजारा शाम करीब 4.30 बजे देखने को मिला, जब सेना का एक जवान प्रैक्टिस के दौरान गिर गया। हालांकि जवान घायल नहीं हुआ पर घोड़े के पैर में थोड़ी चोट जरूर आई।  साल 2016 में ओल्ड मोंक ने नैशनल इंडव्यूजल इवैंट में सिल्वर मैडल जीता। जूनियर सो जंपिंग पी.पी.एस. नाभा में गोल्ड मैडल जीता है। 


 


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