आयरन की कमी बन रही बच्चों को बीमार करने का कारण

punjabkesari.in Tuesday, Apr 11, 2017 - 12:12 PM (IST)

चंडीगढ़ (पाल): 4 माह की उम्र से अगर बच्चे को आयरन ड्रॉप्स और सीरप देना शुरू कर दिया जाए तो उसे  एनिमिया के साथ कई और बीमारियों से बचाया जा सकता है। पी.जी.आई. एडवांस पैडएट्रिक सैंटर की प्रोफैसर भवनीत भारती ने बताया कि आयरन की कमी एनीमिया का कारण बनती है। दिमागी विकास, मांसपेशियों और शरीर में रैड ब्लड सैल्स के लिए भी आयरन जरूरी है। प्रोफैसर दीपक बंसल व प्रोफैसर भवनीत भारती ने दो वर्ष तक 3 से 6 महीने के 296 बच्चों पर यह स्टडी की है, जिसके बाद उन्होंने पाया कि 4 माह की उम्र में बच्चों को आयरन देना शुरू कर देना चाहिए। भारत में ज्यादातर लोगों को मानना है कि 6 माह की उम्र तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए,लेकिन रिसर्च में सामने आया कि मां के दूध के साथ 4 माह की उम्र के बाद बच्चे को आयरन देना शुरू किया जा सकता है। 

 

बच्चों को मुख्य आहार 6 माह की उम्र के बाद देना चाहिए। प्रो. भारती की मानें तो नवजातों में आयरन की कमी से दिमागी विकास और लो-आईक्यू जैसी परेशानियां पैदा हो सकती हैं। रिसर्च में सामने आया कि चार माह के 5 में से 1 बच्चे व पांच माह के 3 में से 1 बच्चे के खून में आयरन की कमी है। यह आया स्टडी में: पी.जी.आई. एडवांस पैडएट्रिक सैंटर के हैमेटोलॉजी और सोशल पैडएट्रिक्स यूनिट में हुई यह रिसर्च हाल ही में इंडियन जर्नल में पब्लिश हुई है। रिसर्च के दौरान सभी 296 बच्चों के ब्लड टैस्ट किए। 4 माह की उम्र के 21 प्रतिशत व 5 माह के 36 प्रतिशत व साथ ही 5 माह के 17 प्रतिशत बच्चे आयरन की से एनिमिया का सामना कर रहें हैं। 

 

ग्रोथ पर असर: प्रो. भारती ने बताया कि बच्चे में आयरन की कमी उसकी ग्रोथ पर असर डालती है। साथ ही उसके व्यवहार, एकाग्रता व मैंटल ग्रोथ को भी प्रभावित कर सकता है। खाने में आयरन की कमी से ही भारत में महिलाओं और बच्चे इसका ज्यादा शिकार होते हैं। प्रो. भारती ने बताया कि भारत में 6 माह से 5 वर्ष के 58 प्रतिशत बच्चे एनीमिया का शिकार है। वहीं चंडीगढ़ में 73 प्रतिशत, हरियाणा में 72 प्रतिशत, पंजाब में 57 प्रतिशत हिमाचल में 54 प्रतिशत और दिल्ली में इसका आंकड़ा 67 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि अगर नवजातों में आयरन 4 माह की उम्र से शुरू कर दिया जाए तो इसे रोका जा सकता है। अमरीका मे ंबच्चों को 4 माह की उम्र से आयरन देना शुरू कर दिया जात है लेकिन भारत में नैशनल प्लस आयरन प्रोग्राम 6 महीने के उम्र के बाद शुरू किया जाता है। 


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