मुख्यमंत्री भगवंत मान की दो टूक : हरियाणा के किसी कॉलेज को पंजाब यूनिवर्सिटी से नहीं मिलेगी मान्यता

punjabkesari.in Monday, Jun 05, 2023 - 07:42 PM (IST)

चंडीगढ़,(अश्वनी): पंजाब यूनिवर्सिटी के पंजाब की भावनात्मक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और समृद्ध विरासत का हिस्सा होने का दावा करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को स्पष्ट तौर पर कहा कि उनको क्षेत्र की इस शीर्ष शैक्षिक संस्था यूनिवर्सिटी में हरियाणा के हिस्से की जरूरत नहीं है।
पंजाब भवन में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हरियाणा के किसी भी कालेज को यूनिवर्सिटी से मान्यता नहीं दी जायेगी और न ही यूनिवर्सिटी की सैनेट में गत दरवाजे से दाखि़ले के लिये हरियाणा के किसी यत्न को कामयाब होने दिया जाएगा। भगवंत मान ने कहा कि राज्य के 175 कालेज इस यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त हैं, जिस कारण पंजाब की कई पीढिय़ां इससे भावनात्मक तौर पर जुड़ी हुई हैं।

 

 


मुख्यमंत्री ने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का कानूनी और प्रशासकीय दर्जा पहले की तरह ही रहना चाहिए। उन्होंने याद करवाया कि साल 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के समय इस यूनिवर्सिटी को पंजाब पुनर्गठन एक्ट की धारा 72 (1) के अंतर्गत ’इंटर स्टेट बॉडी कॉर्पोरेट’ घोषित किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी अपनी स्थापना से लेकर अब तक पंजाब में निरंतर काम कर रही है। भगवंत मान ने कहा कि विभाजन के बाद इसको पंजाब की तत्कालीन राजधानी लाहौर तबदील किया गया, उसके बाद होशियारपुर और फिर पंजाब की मौजूदा राजधानी चंडीगढ़ में तबदील कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी का पूरा अधिकार-क्षेत्र मुख्य तौर पर पंजाब राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में है।
 

 

 

-पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल ने यूनिवर्सिटी से हिस्सा वापस ले लिया था
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट, 1966 की धारा 72 की उप धारा (4) के अनुसार, यूनिवर्सिटी को रख-रखाव घाटे की ग्रांटें को संबङ्क्षधत राज्यों भाव पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के यू.टी. प्रशासन में क्रमवार 20:20:20:40 के अनुपात में सांझा और अदा किया जाना था। उन्होंने कहा कि 1970 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसी लाल ने अपनी मर्जी से यूनिवर्सिटी में से अपने राज्य का हिस्सा वापस ले लिया था और 1973 में भी हरियाणा ने अपने सैनेट के सदस्यों को यूनिवर्सिटी से वापस बुला लिया था।  भगवंत मान ने कहा कि तब से पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को क्रमवार 40: 60 के अनुपात में रख-रखाव घाटे की ग्रांटों का भुगतान करने की वित्तीय जिम्मेदारी उठाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के पीछे हटने और राज्य में नयी यूनिवर्सिटियों के निर्माण के कारण बढ़े वित्तीय बोझ के बावजूद पंजाब ने यूनिवर्सिटी के साथ राज्य निवासियों की ऐतिहासिक और भावनात्मक सांझ यकीनी बनाये रखने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी को समर्थन देना जारी रखा। 
 

 

 

-यूनिवर्सिटी को दिए 49 करोड़ रुपए
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने यूनिवर्सिटी को होस्टलों के निर्माण के लिए 49 करोड़ रुपए दिए हैं, जबकि इसकी कोई माँग भी नहीं की गई थी। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि राज्य के हित बिकाऊ नहीं हैं, जिसको कोई भी पैसो देकर खरीद लेगा। भगवंत मान ने कहा कि हरियाणा सरकार की तरफ से यूनिवर्सिटी को ग्रांटों का हिस्सा देने का प्रस्ताव पूरी तरह अस्वीकार्य और अनुचित है।
 

 

 

 

-हरियाणा ने अपनी यूनिवर्सिटीज को फंड देने में असमर्थता जताई
मुख्यमंत्री ने हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा राज्य की सभी यूनिवर्सिटियों के उप कुलपतियों को लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने एक पत्र के द्वारा यूनिवर्सिटियों को फंड देने से असमर्थता अभिव्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस पत्र में यूनिवर्सिटियों को अपने स्तर पर संसाधन जुटाने के लिए कहा गया जबकि दूसरी तरफ हरियाणा पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्सा डालने के लिए उत्सुक है जो इस राज्य के नापाक इरादों को दर्शाता है। भगवंत मान ने कहा कि कोई राज्य जो अपनी यूनिवर्सिटियों का प्रबंध करने के समर्थ नहीं है, वह पंजाब यूनिवर्सिटी जैसी बड़े रुतबे वाली यूनिवर्सिटी को अपनी तरह से कब तक कैसे फंड दे सकता है, जब तक कोई बड़ी एजेंसी उसके लिए गुप्त तरीके से फंडों की व्यवस्था नहीं करती। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पद संभालने के बाद केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान को दो पत्र लिख कर कहा था कि यूनिवर्सिटी राज्य की विरासत है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। 

 

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी के मूल स्वरूप को बरकरार रखने के लिए 30 जून, 2022 को पंजाब विधान सभा में एक प्रस्ताव भी पास किया गया था तो यूनिवर्सिटी की सैनेट में किसी भी किस्म की घुसपैठ को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हरियाणा के लोगों के किसी तरह खि़लाफ नहीं है और यह तथ्य भी रिकार्ड पर हैं कि यूनिवर्सिटी में 35 प्रतिशत विद्यार्थी हरियाणा के हैं। भगवंत मान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हरियाणा अपनी यूनिवर्सिटी को कहीं भी बनाने के लिए आजाद है परन्तु उनको पंजाब यूनिवर्सिटी का हिस्सा नहीं बनने दिया जायेगा।
 

 

 

 

-अकाली व कांग्रेस नेताओं पर भी मुख्यमंत्री ने साधा निशाना
अकाली और कांग्रेसी नेताओं को आड़े हाथों लेते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल ने 26 अगस्त, 2008 को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्रीय दर्जा देने की माँग की थी। भगवंत मान ने कहा कि इससे भी आगे जाकर अकाली दल की सरकार ने इस प्रमुख संस्था को केंद्रीय यूनिवर्सिटी में तबदील करने के लिए केंद्र सरकार को कोई ऐतराज न होने का पत्र भी जारी किया था। भगवंत मान ने कहा कि अकाली दल को इस मुद्दे पर एक भी शब्द कहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

 

 

 


मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नेताओं और पार्टियों ने हमेशा राज्य के हितों को खतरे में डाल कर अपने हितों को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुद्दे पर कांग्रेस और अकाली दल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि हरियाणा की एक महिला कांग्रेसी विधायक ने अगस्त, 2022 में राज्य के कालेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी की मान्यता देने के लिए अपने राज्य की विधान सभा में प्रस्ताव पेश किया था। भगवंत मान ने कहा कि यह दोनों पार्टियाँ पाखंड करती हैं, जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए राज्य के हितों की हमेशा अनदेखी की है। इस मौके पर मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर और हरजोत बैंस, मुख्य सचिव विजय कुमार जंजूआ, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. वेनूप्रसाद, मुख्यमंत्री के विशेष प्रमुख सचिव रवि भगत और अतिरिक्त विशेष प्रमुख सचिव हिमांशु जैन और अन्य उपस्थित थे।


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News Editor

Ajay Chandigarh

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