स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तंबाकू के नुक्सान को कम करने की तकनीकों के खिलाफ कैंपेन पर सवाल उठाया

punjabkesari.in Saturday, Jul 24, 2021 - 02:41 AM (IST)

हर साल, तंबाकू सेवन से आठ मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। इससे स्वास्थ्य रक्षा पर 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का बोझ पड़ता है और उत्पादकता में कमी आती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्षों से दुनियाभर में तंबाकू सेवन के खिलाफ कई जागरूकता अभियान चलाए हैं। इसके साथ ही लोगों से तंबाकू की जगह परंपरागत निकोटीन का प्रयोग करने की अपील पर खासा जोर दिया गया है। इसके बावजूद सन 2000 से धूम्रपान करने वाले लोगों की सं या एक बिलियन से ज्यादा बनी हुई है तो सवाल यह उठता है कि क्या डब्ल्यूएचओ वास्तव में दुनिया भर में सिगरेट पीना छोडऩा चाह रहे लोगों की मदद के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है।

 


इस वर्ष, डब्ल्यूएचओ ने कमिट टू क्विट थीम पर विश्व तंबाकू निषेध दिवस (डब्ल्यूएनटीडी) के लिए एक साल का अभियान शुरू किया। इस अभियान का उद्देश्य तंबाकू का सेवन करने वाले 100 मिलियन लोगों को सफलतापूर्वक सिगरेट छोडऩे में मदद करने के लिए सपोर्ट नेटवर्क बनाना है। इसके अलावा तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को सफलतापूर्वक इसे छोडऩे में मदद के लिए कई सेवाओं तक उनकी पहुंच उपलब्ध कराना है। इस पहल में मौजूदा सेवाओं जैसे हेल्थ प्रोफेशनल्स से सलाह, सिगरेट छोडऩे के प्रेरित करने के लिए नेशनल टोल फ्री क्विट लाइन के अलावा वॉट्सएप पर लोरेंस, डब्ल्यूएचओ के पहले डिजिटल हेल्थ वर्कर और चैटबॉट सपोर्ट जैसी सेवाएं शामिल हैं।


इस मामले में कड़वी और भद्दी हकीकत यह है कि इस तरह की पहल शायद ही कभी सिगरेट पीने का आदी लोगों की सिगरेट छोडऩे में मदद करती है। आज सिगरेट पीने वीले 80 फीसदी लोग नि न और मध्यम आय वाले देशों के हैं। खासतौर से महामारी के प्रकोप के कारण इन देशों में सिगरेट छोडऩे के लिए राष्ट्रीय टोल-फ्री लाइनों का प्रभावी रहना और मैडीकल स्टाफ की मौजूदगी सवालों के घेरे में हैं। दशकों से, हमारे पास इस संबंध में पर्याप्त आंकड़े मौजूद है, जो यह बताते है कि सिगरेट पीना छोडऩे के लिए खुद पर संयम या कंट्रोल रखने  या सिगरेट की जगह निकोटीन का इस्तेमाल करने के तरीके को काफी कम सफलता मिली है। कई देश सिगरेट पीना छोडऩे में सफल रहे लोगों की श्रेणी बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि तंबाकू का सेवन करने वाले अधिकांश वयस्क धूम्रपान छोडऩे के लिए अच्छा इलाज कराने के  बाद भी फिर अपने पुराने पैटर्न पर लौट आते हैं और फिर से सिगरेट पीने लगते हैं।


डब्ल्यूएनटीडी के बारे में डब्ल्यूएचओ की हाल में की गई टिप्पणी दुर्भाग्य से संस्था के पीछे हटने वाले रवैये और निरोधात्मक मानसिकता को दिखाती है। इसके लिए, एक खुले पत्र में, तंबाकू से होने वाले नुकसान को कम करने के मु य पैरोकार न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के एनवाईयू स्कूल ऑफ ग्लोबल पब्लिक हेल्थ में  सामाजिक और व्यवहार विज्ञान विभाग के डेविड अब्रा स, ब्रिटेन में एक्शन ऑन स्मोकिंग एंड हेल्थ (यूके) के पूर्व निदेशक प्रोफेसर रेमंड निऑरा और कनाडा की ओटावा यूनिवर्सिटी में हेल्थ लॉ, पॉलिसी एंड एथिक्स के लिए केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष डेविड स्वीनर ने अपने अलग-अलग  विचार पेश किए।

पत्र में यह उभारा है कि डब्ल्यूएचओ ने सिगरेट पीने से होने वाले खतरे को गलत ढंग से पेश किया है। इसके साथ ही सिगरेट की जगह ज्यादा सुरक्षात्मक विकल्पों के चयन से इनकार किया गया है और वैज्ञानिक आंकड़ों से समर्थित तथ्यों को नजरअंदाज किया गया है। इसके अलावा दुनियाभर में सराहे गए विशेषज्ञों के समूह ने एशिया प्रशांत के स्वास्थ्य मंत्रियों और सचिवों को डब्ल्यूएचओ की हाल ही में जारी प्रोडक्ट रेगुलेशन रिपोर्ट  के बारे में अपनी चिंता जताने के लिए कई पत्र भेजे हैं। एशिया पैसिफिक टोबैको हार्म रिडक्शन एडवोकेट्स के गठबंधन के विशेषज्ञ सलाहकार समूह ने चेतावनी दी कि डब्ल्यूएचओ का अध्ययन समूह वैपिंग के सभी पहलुओं पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करके सार्वजनिक स्वास्थ्य के सर्वोत्तम हित में काम नहीं कर रहा है।


आज टीएचआर रणनीति के लाभों को मान्यता देने वाली कई रिसर्च हो चुकी हैं। 2018 में वैज्ञानिकों ने कहा कि निकोटीन को  कम से कम नशे के स्तर पर लेने से सिगरेट पीने वाले 5 मिलियन स्मोकर्स को 1 साल में सिगरेट छोडऩे में सफलता मिली, जबकि 13 मिलियन लोगों को सिगरेट छोडऩे में पांच साल लग गए। डब्ल्यूएचओ ने यूएस एफडीए और पब्लिक हेल्थ यूके द्वारा पेश किए गए जबर्दस्त सबूतों को नजरअंदाज कर दिया है, जिसमें यह पुष्टि की गई है कि गर्म तंबाकू उत्पाद और ई-सिगरेट तंबाकू का सेवन करने से होने वाले नुकसान को 90 फीसदी तक कम कर सकते है। अप्रैल 2021 में, रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन (लंदन) ने तंबाकू पर निर्भरता के लिए एक प्रभावी उपचार के रूप में धूम्रपान बंद करने पर केंद्रित एक विस्तृत वैज्ञानिक आकलन प्रकाशित किया। उनका कहना है कि इसे सभी ट्रीटमेंट में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

ashwani

Recommended News

Related News