साल 2019: प्याज ने निकाले आंसू, महंगाई दर तीन साल के सबसे उच्च स्तर पर
punjabkesari.in Saturday, Dec 28, 2019 - 04:10 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः साल 2019 में प्याज और सब्जियों सहित अन्य खाद्य उत्पादों की महंगाई ने उपभोक्ताओं को रुलाया है। इन सब के बीच प्याज 2019 में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। प्याज की बढ़ती कीमतों मे लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। प्याज के दाम देश के कई शहरों में 200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए। सितंबर, अक्तूबर और नवंबर महीनों में प्याज के दाम देशभर में रिकॉर्ड ऊंचाई पर बने रहे।
प्याज की कीमत ने जनता के साथ सरकार को भी विचलित कर दिया। इसके बाद आखिरी तिमाही में टमाटर के भाव भी आसमान पर पहुंच गए, जिससे खुदरा महंगाई दर तीन साल में सबसे ज्यादा हो गई। दरअसल, बारिश व सूखे की वजह से फसल बर्बाद होने और आपूर्ति में बाधा आने से रोजमर्रा के इस्तेमाल की सब्जियां जैसे आलू, टमाटर के दाम काफी बढ़ गए। ऐसे में मॉनसून और कुछ सीमित अवधि को छोड़ दिया जाए तो पूरे साल टमाटर 80 रुपए किलो के भाव बिका।
दिसंबर में आपूर्ति प्रभावित होने की वजह से कुछ समय के लिए आलू भी 30 रुपए किलो पहुंच गया। महंगी सब्जियों की वजह से नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी से ऊपर पहुंच गई। सरकार ने भी टोमैटो, ओनियन, पोटैटो यानी ‘टॉप’ सब्जियों को 2018-19 के आम बजट में शीर्ष प्राथमिकता दी थी। पिछले साल नवंबर में ऑपरेशन ग्रीन के तहत इन तीनों सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव रोकने के लिए इनके उत्पादन और प्रसंस्करण पर विशेष जोर दिया गया। इसके अलावा लहसुन और अदरक जैसी सब्जियों के दाम भी 200-300 रुपए किलो से ऊपर ही रहे।
सरकार ने कर दी देर
सरकार ने प्याज कीमतों पर अंकुश के प्रयास देरी से शुरू किए। घरेलू बाजार में कीमतें नीचे लाने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जबकि विक्रेताओं के लिए स्टॉक की मात्रा घटाकर चौथाई कर दी गई। इन कदमों का थोड़ा असर तो हुआ लेकिन अभी तक प्याज के भाव आसमान पर हैं। इस महंगाई का असर आरबीआई के रेपो रेट तय करने पर भी पड़ा और उसने दिसंबर में उम्मीदों को झटका देते हुए दरें स्थिर रखीं। रिजर्व बैंक ने स्वीकार भी किया कि प्याज की ऊंची कीमतों के दबाव में इस बार रेपो रेट नहीं घटाया है।
जनवरी से सब्जियां सस्ती होने की उम्मीद
रेटिंग एजेंसी इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने अनुमान जताया है कि 2020 की शुरुआत में सब्जियों के दाम काफी हद तक काबू में आ जाएंगे। नायर ने कहा, भूजल की बेहतर स्थिति और जलाशयों में पानी के अच्छे स्तर की वजह से रबी के उत्पादन और मोटे अनाजों की प्रति हेक्टेयर उपज अच्छी रहेगी। हालांकि, सालाना आधार पर रबी दलहन और तिलहन की बुवाई में जो कमी आई है, वह चिंता का विषय है। बावजूद इसके आयातित प्याज और नई फसल के आने से कीमतों में गिरावट की उम्मीद है। इक्रा का अनुमान है कि दिसंबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 5.8-6 फीसदी तक हो सकती है।