एक्सपोर्ट में बाधा डालने पर अमरीका को WTO में घसीट सकता है घसीट

Tuesday, Apr 17, 2018 - 04:08 AM (IST)

नई दिल्ली: अमरीका को एक्सपोर्ट करने के लिए प्रोफैशनल टैरिफ न मिलने की स्थिति में भारत वल्र्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यू.टी.ओ.) की विवाद निपटाने वाली संस्था से संपर्क कर सकता है। सूत्रों ने बताया कि अमरीका का जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ  प्रैफरैंसेज (जी.एस.पी.) व्यापार के लिए प्रोत्साहन देने वाली योजना है। इस तरह की योजना के तहत विकसित देश विकासशील देशों को व्यापार के लिए छूट देते हैं और बदले में विकसित देशों को इसी तरह के फायदे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। 

अमरीका अपनी डेयरी और मैडीकल डिवाइस इंडस्ट्री की ओर से दी गई याचिकाओं के आधार पर भारत की पात्रता की समीक्षा करना चाहता है। भारत में इन दोनों सैक्टरों में अमरीकी कम्पनियों को कड़े नियमों के कारण एक्सपोर्ट में मुश्किल हो रही है। दिल्ली में इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ  फॉरेन ट्रेड के प्रोफैसर और हैड (सैंटर फॉर डब्ल्यू.टी.ओ. स्टडीज) अभिजीत दास ने कहा कि अगर अमरीका हमें जी.एस.पी. के फायदे देने से इंकार करने के लिए भारत में मार्की से जुड़ी कथित रुकावटों को आधार बनाता है तो हम उसे डब्ल्यू.टी.ओ. में घसीट सकते हैं। 

क्या है जी.एस.पी.
जी.एस.पी. यानी जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ  प्रैफरैंसेज। अमरीका ने जी.एस.पी. की शुरूआत 1976 में आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के लिए की थी। इसके तहत चुनिंदा गुड्स के ड्यूटी-फ्री इम्पोर्ट की अनुमति दी जाती है। अभी तक लगभग 129 देशों को करीब 4,800 गुड्स के लिए जी.एस.पी. के तहत फायदा मिला है। एक विशेषज्ञ ने कहा कि भारत की मार्कीट में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए अमरीका जी.एस.पी. का इस्तेमाल करना चाहता है। वह ऐसे बैनीफिट्स रोकने के लिए दूसरा तरीका खोज लेगा। 

2002 में भारत ने दी थी जी.एस.पी. को चुनौती
भारत ने 2002 में यूरोपियन यूनियन के जी.एस.पी. सिस्टम को चुनौती दी थी। भारत ने कहा था कि यह सिस्टम विकासशील देशों के बीच भेदभाव करता है। बाद में डब्ल्यू.टी.ओ. ने जी.एस.पी. सिस्टम में कमियां पाई थीं। प्रो. बिश्वजीत धर ने कहा कि भारत को अमरीका के फैसले को चुनौती देनी चाहिए क्योंकि जी.एस.पी. में भेदभाव नहीं किया जा सकता। वित्त वर्ष 2017 में भारत और अमरीका के बीच मर्चेंडाइज ट्रेड 64.5 अरब डॉलर का था। भारत ने अमरीका को करीब 42.2 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। अमरीकी नियमों के अनुसार फायदा उठाने वाले देश को पात्रता के 15 मानकों को पूरा करना होता है। इनमें बाल श्रम के खिलाफ  लड़ाई, अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त श्रमिक अधिकारों का पालन करना शामिल हैं।

Pardeep

Advertising