गेहूं, आलू और पाम तेल पर आयात शुल्क में भारी कटौती

punjabkesari.in Saturday, Sep 24, 2016 - 11:25 AM (IST)

नई दिल्लीः केन्द्र सरकार ने आगामी त्यौहारों के दौरान आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के ध्येय से गेहूं और आलू पर आयात शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया जबकि कच्चे और रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क को घटाकर क्रमश: 7.5 और 15 प्रतिशत पर ला दिया गया। 

गेहूं पर आयात शुल्क 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत, आलू पर 30 से घटाकर 10 प्रतिशत किया गया है। कच्चे पाम तेल पर इसे 12.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 जबकि और रिफाइंड पाम तेल पर 20 से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया। एक अधिसूचना में केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सी.बी.ई.सी.) ने कहा कि अक्तूबर 2016 तक आलू पर आयात शुल्क को 30 प्रतिशत से कम कर 10 प्रतिशत किया गया है। गेहूं पर आयात शुल्क को 25 प्रतिशत से कम करके फरवरी 2017 तक के लिए  10 प्रतिशत किया गया है।

गेहूं के मामले में सरकार ने फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में 9.35 करोड़ टन के अधिक घरेलू उत्पादन के बावजूद इसके आयात शुल्क को कम किया है। खाद्य मंत्रालय ने गेहूं आयात शुल्क में कटौती का प्रस्ताव किया था क्योंकि इसकी खरीद इस वर्ष भारी गिरावट के साथ 2.29 करोड़ टन रह गई। जिससे इसकी घरेलू उपलब्धता को लेकर चिंता पैदा हुई थी। 

आटा मिलों ने घरेलू उत्पादन में 50 लाख टन की कमी का हवाला देते हुए आयात शुल्क वापस लेने की मांग की थी। सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए भारतीय रोलर फ्लोर मिल फेडरेशन के सचिव वीणा शर्मा ने कहा, "इससे आपूर्ति में सुधार होगा और मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगेगा।" उत्पादन में कमी और बढ़ती खुदरा कीमतों को लेकर चिंतित सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए आलू पर आयात शुल्क को कम किया है।  

सरकारी आंकड़ों के अनुसार फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में आलू उत्पादन 9 प्रतिशत घटकर 4.37 करोड़ टन रह गया जो उत्पादन पिछले वर्ष 4.8 करोड़ टन था।  खाद्य तेल के उद्योग संगठन साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने रिफाइंड पाम तेल पर शुल्क कटौती का विरोध किया है। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने बताया, "मुद्रास्फीति में खाद्य तेलों का योगदान नहीं है। हालांकि, सरकार अगर इतनी ही चिंतित थी तो उसे कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क में कमी करनी चाहिए थी न कि रिफाइंड पाम तेल पर इसे कम किया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि कच्चे और रिफाइंड पाम तेल पर शुल्क का अंतर बढऩे से घरेलू रिफाइंनिंग को ज्यादा प्रोत्साहन मिलता। 


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