वीडियोकॉन के CEO अरविन्द बाली का पंजाब केसरी के साथ विशेष इंटरव्यू

punjabkesari.in Friday, Nov 24, 2017 - 10:11 AM (IST)

जालंधरः टैलीकॉम बिजनैस से बाहर निकलने के बाद वीडियोकॉन द्वारा शुरू किए गए सी.सी.टी.वी. कैमरे (वीडियोकॉन वाल कैम) के नए बिजनैस के लिए कम्पनी ने अगले 3 साल में 1150 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य तय किया है। कम्पनी के सी.ई.ओ. अरविन्द बाली ने पंजाब केसरी के संवाददाता नरेश कुमार के साथ विशेष इंटरव्यू के दौरान वीडियोकॉन द्वारा टैलीकॉम बिजनैस से हाथ खींचने और कम्पनी की भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। पेश हैं अरविन्द बाली का पूरा इंटरव्यू:

प्र. :  रेटिंग एजैंसी मूडीज ने टैलीकॉम सैक्टर का आऊटलुक नैगेटिव कर दिया है, आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
उ. : इस समय टैलीकॉम इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है। कम्पनियों के मध्य विलय और मर्जर की प्रक्रिया जारी है लेकिन यह दौर स्थायी नहीं है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले 2-3 साल देश में सिर्फ 3 बड़ी कम्पनियां ही बचेंगी, उसके बाद टैलीकॉम सैक्टर में स्थिरता आने की संभावना है।

प्र. : टैलीकॉम सैक्टर पर 5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, उसका क्या होगा? 
उ. : यह ठीक है कि टैलीकॉम इंडस्ट्री इस समय कर्ज की समस्या से जूझ रही है लेकिन बड़ी कम्पनियों पर इतना कर्ज नहीं है। उनकी परिसम्पत्तियां कर्ज के मुकाबले ज्यादा हैं, लिहाजा इनके कर्ज की ज्यादा चिंता नहीं होनी चाहिए।

प्र. : क्या कर्ज में डूबी टैलीकॉम कम्पनियों के कारण बैंकों पर बोझ बढ़ेगा?
उ. : मुझे लगता है कि टैलीकॉम सैक्टर की जिन कम्पनियों पर बैंकों का कर्ज है, वे अपने अन्य बिजनैस से पैसा निकाल कर बैंकों को कर्ज की अदायगी कर देंगी। मुझे नहीं लगता कि बैंकों को इससे बहुत ज्यादा ङ्क्षचता होनी चाहिए। हालांकि इसमें थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है।

प्र. : टैलीकॉम सैक्टर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए क्या आपको टैलीकॉम बिजनैस से हाथ खींचने का अपना फैसला सही लगता है?
उ. : हमने बिल्कुल सही समय पर सही फैसला लिया है और इस फैसले में बहुत सारे लोग शामिल थे। हमें इस बात का आभास हो गया था कि टैलीकॉम सैक्टर के बड़े खिलाड़ी इस सैक्टर में लाखों-करोड़ों रुपए का निवेश कर रहे हैं। ऐसे में छोटे खिलाडिय़ों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाता है क्योंकि निवेश के मामले में छोटे खिलाड़ी बड़े खिलाडिय़ों का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं। लिहाजा हमने अपना स्पैक्ट्रम बेचा और 6 नए बिजनैस शुरू किए ताकि हमारे साथ काम कर रहे लोगों का रोजगार बना रहे।

प्र. : नए बिजनैस से वीडियोकॉन ने राजस्व का क्या लक्ष्य रखा है?
उ. : इस बिजनैस में बहुत सारी संभावनाएं हैं क्योंकि कोई भी बड़ी कम्पनी संगठित तरीके से इस क्षेत्र में काम नहीं कर रही है। हमने अपनी कम्पनी के लिए अगले 3 साल में इस बिजनैस से 1150 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य रखा है। मुझे लगता है कि आने वाले वक्त में सी.सी.टी.वी. कैमरे का निर्माण बढ़ेगा और इसके लिए सॉफ्टवेयर की जरूरत भी बढऩे वाली है। हमने यह कम्पनी इस सैक्टर में 25-30 साल के बाद पैदा होने वाली सुरक्षा उपकरणों की मांग को देखते हुए शुरू की है और इस सैक्टर का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है।

प्र. : नए बिजनैस के लिए सॉफ्टवेयर डिवैल्पमैंट की क्या योजना है?
उ. : हमारे पास मोहाली में पहले से 650 इंजीनियरों की टीम काम कर रही थी, उसी टीम को हमने सॉफ्टवेयर डिवैल्पमैंट के काम में लगाया है। यह टीम सी.सी.टी.वी. कैमरे के लिए विकसित तकनीक वाले सॉफ्टवेयर का निर्माण कर रही है और इन्हीं सॉफ्टवेर के सहारे सी.सी.टी.वी. कैमरों और सुरक्षा से जुड़े तमाम सॉफ्टवेयर तैयार किए जा रहे हैं।

प्र. :  सी.सी.टी.वी. कैमरों और इसके डाटा की सुरक्षा को लेकर जनता में बहुत भ्रांतियां हैं, उसका इलाज कैसे करेंगे?
उ. : यह बात सही है कि लोगों को सुरक्षा के इस नए माध्यम की ज्यादा जानकारी नहीं है। सबसे पहले तो उन्हें सी.सी.टी.वी. कैमरा लगवाना महंगा लगता है लेकिन जब किसी को बताया जाता है कि आप महज 10,000 रुपए खर्च करके घर में 3 या 4 कैमरे लगवा सकते हैं तो लोग सुरक्षा के लिए इतना पैसा आसानी से खर्च कर सकते हैं। दूसरी समस्या लोगों को कैमरे में रिकार्ड किए गए डाटा की सुरक्षा को लेकर होती है लेकिन आजकल ऐसी तकनीक आ गई है कि यदि आपका डी.वी.आर. चोरी भी हो जाता है तो कैमरे का डाटा क्लाऊड नामक सॉफ्टवेयर पर सेव हो जाता है। हम जनता की भ्रांतियां दूर करने के लिए काम कर रहे हैं।

प्र. :  भविष्य में इस सैक्टर के लिए सरकारी स्तर पर ज्यादा संभावनाएं हैं या निजी सुरक्षा उपलब्ध करवाने में?
उ. : देश भर में होटल, अस्पताल, शिक्षण संस्थान, शोरूम और घरों की सुरक्षा के लिए भविष्य में विकसित तकनीक के कैमरों की जरूरत पड़ेगी। हालांकि सरकारी स्तर पर भी इसका व्यापक तरीके से इस्तेमाल शुरू होगा। विदेशों में हम देखते हैं कि ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाने के लिए कैमरों का ही इस्तेमाल होता है और नियम तोडऩे पर चालान घर पर पहुंच जाता है। भारत में भी इस व्यवस्था को लागू करने के लिए बड़ी संख्या में ऐसे कैमरों और इनका सॉफ्टवेयर बनाने के लिए कम्पनियों की जरूरत होगी। 


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