अमेरिकी कच्चा तेल महंगा, भारत के रिफाइनरों को ज्यादा ढुलाई और लंबा समय झेलना पड़ रहा
punjabkesari.in Friday, Oct 17, 2025 - 12:39 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत की अमेरिका से कच्चे तेल और ऊर्जा आयात बढ़ाने की महत्वाकांक्षा पूरी तरह से आर्थिक और व्यापारिक दृष्टिकोण पर निर्भर है। विशेषज्ञों और उद्योग अधिकारियों का कहना है कि भारत के रिफाइनरों को अमेरिका से तेल मंगाने पर अधिक माल ढुलाई और लंबी शिपमेंट अवधि का सामना करना पड़ता है। अमेरिका से शिपमेंट पहुंचने में 45-50 दिन लगते हैं, जबकि पश्चिम एशिया से 7-8 दिन और रूस से 30-45 दिन में तेल पहुंच जाता है।
आयात की क्षमता और व्यापार निर्णय
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने 15 अक्टूबर को कहा कि भारत के पास वर्तमान में 12-13 अरब डॉलर के ऊर्जा व्यापार के अलावा अमेरिका से समान स्तर तक आयात की गुंजाइश है। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के निदेशक वित्त वेत्सा रामकृष्ण गुप्ता ने बताया कि BPCL वर्तमान में अपने कुल आयात का 10-15% कच्चा तेल अमेरिका से मंगाती है, और कीमतों के अनुकूल होने पर इसे बढ़ाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका से कच्चे तेल के आयात का लाभ सीमित है, जबकि तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) और एलपीजी के आयात से अधिक लाभ मिल सकता है। केप्लर के सुमित रिटोलिया ने कहा कि अमेरिका से ऊर्जा खरीद बढ़ाने पर एलएनजी या एलपीजी प्राथमिक विकल्प होंगे, क्योंकि इनका आयात कच्चे तेल की तुलना में अधिक लाभदायक है।
रिफाइनरियों की तैयारी और क्षमता
भारतीय रिफाइनरों ने तकनीकी बदलाव करके अधिक सल्फर वाले अमेरिकी कच्चे तेल को शोधन करने की क्षमता बनाई है। लेकिन अमेरिका से कच्चे तेल आयात को बढ़ाने की क्षमता 400-500 हजार बैरल प्रति दिन (KBD) तक सीमित है।
ऊर्जा आयात में विविधता और भू-राजनीतिक रणनीति
भारत वर्तमान में 40 देशों से कच्चा तेल आयात करता है, जबकि 2007 में यह संख्या 27 थी। इक्रा के प्रशांत वशिष्ठ के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका से कुल आयात केवल 4% था। अमेरिका से कच्चे तेल और एलएनजी आयात बढ़ाने से भारत अपने कच्चे तेल के बास्केट में विविधता ला सकता है और व्यापार घाटा घटा सकता है।