भारत के साथ ट्रेड वार पर आमदा ट्रंप, जानिए पांच बड़े कारण

punjabkesari.in Tuesday, Mar 05, 2019 - 09:00 PM (IST)

बिजनेस डेस्क : अमेरिका द्वारा भारत के साथ ट्रेड वार की शुरुआत के तौर पर भारत को दिए गए जीएसपी के दर्ज को हटाने के पीछे अमेरिका के बढ़ॉ रहे व्यपार घाटे रके साथ कई और कारण भी हैं। दरअसल पिछले पांच साल में भारत ने अमेरिकी कंपनियों पर शिकंजा कसा है जिससे भारत में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के मुनाफे पर चोट पहुंची है। आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से कारण है जिनके चलते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को ड्यूटी के मामले में दी गई राहत को हटाने पर आमदा हुए हैं।

PunjabKesariअमेरिका का व्यपार घाटा बढ़ा
पांच सालों में अमेरिका का भारत के साथ व्यपार घाटा बढ़ा है। 2013-14 और 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात 8736 मिलियन डॉलर बढ़ा जबकि इस दौरान आयात में महज 4106 मिलियन डालर की बढ़ोतरी हुई। मतलब साफ है कि भारत ने जितना आयात बढ़ाया उससे दो गुणा से ज्यादा निर्यात किया। ट्रंप को इसी व्यपार घाटे की चिंता सता रही है। 2013-14 में अमेरिका से भारत को  22,505 मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया था जोकि 2017-18 में बढ़कर 26,611 मिलियन डॉलर हो गया। जबकि भारत से अमेरिका को 2013-14 में  39,142 मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया था जो 2017-18 में बढकर 47,878 मिलियन डॉलर पहुंच गया। भारत अपने कुल निर्यात का 15.70 फीसदी निर्यात अमेरिका को कर रहा है। जबकि पहले ये आंकड़ा 12.50 फीसदी था।

PunjabKesariई कॉमर्स कंपनियों पर शिंकजा
अमेरिका ऐमजॉन ऑफ फ्लिपकार्ट जैसी ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ नए नियमों से खफा था। जिसमें ये ई-कॉमर्स कंपनियां उन कंपनियों के प्रोडक्ट नहीं बेच पाएंगी, जिनमें इनकी हिस्सेदारी है। इसके साथ ही ई-कॉमर्स कंपनियों के एक्सक्लूसिव मार्केटिंग अरेंजमेंट पर भी रोक लगा दी गई थी। नई पॉलिसी के अनुसार, कोई भी वेंडर ज्यादा से ज्यादा 25 फीसदी प्रोडक्ट्स को ही किसी एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस के जरिए बेच सकेंगे। अगर किसी वेंडर के 25 प्रतिशत से ज्यादा उत्पादों को कोई एक ई-कॉमर्स कंपनी खरीदती है तो उस पर ई-कॉमर्स कंपनी का नियंत्रण माना जाएगा। ऐसे में इन अमेरिकी कंपनियों का मानना है कि ये ड्राफ्ट पॉलिसी में विदेशी कंपनियों के हितों का ख्याल नहीं रखा गया है।

PunjabKesariहार्ले-डेविडसन पर आयात शुल्क से नाराज
भारत में हार्ले डेविडसन व ट्रायंफ जैसी हाई एंड बाइक कंपनियों पर 75 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती थी। ट्रंप ने अमेरिका आयात की जाने वाली भारतीय मोटरसाइकिल पर शुल्क बढ़ाने की धमकी दी थी जिसके बाद पिछले साल फरवरी में भारत ने अमेरिका से आयात की जाने वाली हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल पर आयात शुल्क को 50 प्रतिशत कर दिया। अब 800 सीसी या इससे कम इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिल के आयात पर 60 प्रतिशत शुल्क लगता है जबकि 800 सीसी व इससे अधिक इंजन क्षमता वाले इंजन पर 75 प्रतिशत शुल्क लगता था।

PunjabKesariरुपे और मास्टर कार्ड की कसक
मोदी सरकार ने अमेरिकी पेमेंट नेटवर्क मास्टर कार्ड और वीजा पर शिकंजा कसते हुए भारत में ही डाटा सुरक्षित रखने के लिए कहा था। जिसके बाद सरकार ने लोगों को मास्टर कार्ड औॅर वीजा की जगह रुपे के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया। नतीजतन मास्टकार्ड ने अमेरिकी सरकार से शिकायत करते हुए कहा कि भारत सरकार अपने पेमेंट नेटवर्क रुपे को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रवाद का सहारा ले रही है। वर्ष 2012 में नैशनल पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया(एनपीसीआई) ने भी ट्रांजिक्शन का डाटा जारी किया था जिसमें रुपे की तरफ लोगों की रुझान बढ़ता हुआ दिखाई दिया था।

PunjabKesariनी इंप्लांट और स्टेंट भी हैं मुद्दा 
अमेरिका के 25 परसेंट टैरिफ के पीछे नी इंप्लांट और स्टेंट की कीमतों पर जो ऊपरी सीमा भी है, जिसके सबसे अधिक नुकसान पश्चिमी देशों की कंपनियों को होता है। अमेरिका चाहता है कि भारत दवाइयों से नियंत्रण हटा दे। हालांकि भारत ने विरोध खत्म करते हुए अमेरिका के व्यापक कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार को खोलने की सहमति जताई है। 


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shukdev

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