उधार और चेक के दम पर चल रहा है मंडियों में काम

Friday, Dec 16, 2016 - 02:42 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी के करीब 40 दिन बाद भी मंडियों में आवक सामान्य दिनों से 40 से 45 फीसदी कम ही है। ऐसा नहीं कि मंडियों में कैश का फ्लो अधिक हो गया बल्कि व्यापारियों और किसानों के बीच उधार के समझौते कारोबार में थोड़ा उभार आया है। हालांकि, अब भी मंडियों में  साथ ही थोक भाव में फल-सब्जियों के दाम भी पहले की अपेक्षा कम ही बने हुए हैं। इस बीच विभिन्न मंडियों के व्यापारी सप्ताह में कैश लिमिट को लेकर भी निराश है। बैंकों द्वारा उन्हें तय लिमिट 50 हजार को भी टुकड़ों में दिया जा रहा है। इससे कैश फ्लो में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

95% कामकाज सिर्फ कैश में ही होता है
नोटबंदी के बाद से देश की विभिन्न मंडियों में कारोबार 80 फीसदी तक गिर गया था। मंडियों में अपनी फसल लेकर आने वाले किसान वहीं पर अपनी फसल को फेंकने के लिए मजबूर हो गए थे। इसका कारण था कि मंडियों में लगभग 95 फीसदी कामकाज सिर्फ कैश में ही होता है। ऐसे में व्यापारियेां और किसानों दोनों के सामने समस्या आ खड़ी हुई थी। लेकिन, अब कारोबार उधार के भरोसे उभरने लगा है।

व्यापारियों की खरीददारी क्षमता में आ रहा है सुधार
आजादपुर मंडी में व्यापारियों की खरीददारी क्षमता धीरे-धीरे सुधर रही है क्योंकि किसान, सब्जी खरीदने वाले और रिटेलर्स 100 रुपए के नोटों के साथ आ रहे हैं। 500 और 2,000 रुपए की करेंसी की सप्लाई अधिक नहीं है। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में आलू और प्याज की कटाई शुरू हो गई है और किसान उन्हें बेचने के लिए आ रहे हैं।

लिमिट का पैसा मिल रहा टुकड़ों में
पिछले दिनों मंडी व्यापारियों के लिए साप्ताहिक धन निकासी की सीमा को 50 हजार रुपए किया गया था। लेकिन, व्यापारियों का कहना है कि बैंक इस पर भी मनमानी को उतारू हैं। चेक लेकर भेजा जा रहा है तो 50 हजार रुपए भरे चेक को तो रिजेक्ट किया जा रहा है। बैंक अधिकारी खुद ही उसमें अपने हिसाब से पैसा भरते हैं और देते हैं। मसलन 50 हजार रुपए को सप्ताह में 5 या 6 बार में दिया जा रहा है। इससे भी कैश फ्लो बाधित हो रहा है। दिल्ली और देश की अलग-अलग मंडियों के लगभग यही हालात हैं।

कॉटन और प्याज का काम भी उधारी में
पंजाब, गुजरात, हरियाणा आदि राज्यों में कॉटन का कारोबार भी चेक के दम पर चल पड़ा है। हालांकि, अब भी स्थिति सुधरने में समय लगेगा। अमृतसर के कॉटन व्यापारी नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मंडियों में आवक 40 फीसदी तक पिछड़ी हुई है। इससे घरेलू कारोबार कम और एक्सपोर्ट ज्यादा पिछड़ रहा है। इधर, एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में भी आवक और प्याज के दाम दोनों सुधरे हैं। लासलगांव में प्याज का मॉडल प्राइस भी 800 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बना हुआ है। 

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