रिपोर्ट में दावाः भारत को विकसित बनाने के लिए कार्यबल में और 40 करोड़ महिलाओं को जोड़ने की जरूरत

punjabkesari.in Monday, Aug 26, 2024 - 01:28 PM (IST)

नई दिल्लीः एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में 14 ट्रिलियन (14 लाख करोड़) अमेरिकी डॉलर का योगदान देने के लिए कार्यबल में अतिरिक्त 40 करोड़ महिलाओं को जोड़ने की आवश्यकता है। द नज इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित 'लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन डिस्टिलेशन रिपोर्ट' के अनुसार, भारत को वित्त वर्ष 2047 तक मौजूदा महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) को लगभग दोगुना करके 37 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा।

भारत का 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2047 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को अपनी महिला श्रम बल भागीदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि करनी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 तक भारत को अपनी वर्तमान महिला श्रम बल भागीदारी दर को 37 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत तक पहुंचाना होगा। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, तब तक केवल 11 करोड़ महिलाओं के कार्यबल में शामिल होने का अनुमान है, इसलिए 14.5 करोड़ अतिरिक्त महिलाओं को कार्यबल में शामिल करना आवश्यक है।

नौकरी की सुरक्षा में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता

रिपोर्ट में पुरुषों और महिलाओं के बीच नौकरी की सुरक्षा के मामलों में भारी असमानता का पता चला है। आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के नौकरी खोने की आशंका पुरुषों की तुलना में सात गुना अधिक है, और नौकरी छूटने पर स्थिति से उबरने की संभावना महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ग्यारह गुना अधिक है।

2020 में लगभग आधी महिलाएं कार्यबल से बाहर हो गईं

रिपोर्ट के अनुसार, 2020 तक, 2019 में कार्यरत लगभग आधी महिलाएं कार्यबल से बाहर हो गई थीं। महिलाएं मुख्य रूप से कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों जैसे कृषि और विनिर्माण में काम करती हैं, जहां उनकी वृद्धि सीमित रहती है। कोविड महामारी के कारण इन समस्याओं में वृद्धि हुई, और कई ग्रामीण महिलाओं को आय में कमी या परिवार के मुख्य कमाने वाले व्यक्ति की नौकरी छूटने के कारण फिर से काम पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

महिला श्रम शक्ति भागीदारी बढ़ाने के उपाय

रिपोर्ट में महिला श्रम शक्ति भागीदारी बढ़ाने के लिए तीन प्रमुख उपाय सुझाए गए हैं:

  • प्लेटफॉर्म जॉब्स और डिजिटल माइक्रोवर्क: काम को फिर से परिभाषित करके महिलाओं के बीच रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है।
  • डिजिटल कॉमर्स इंफ्रास्ट्रक्चर: उद्यमिता के अवसरों को बढ़ाने के लिए इसे सुसज्जित किया जा सकता है।
  • गतिशीलता और डिजिटल पहुंच: इन बाधाओं को दूर कर श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी को बेहतर बनाया जा सकता है।

द नज प्राइज के निदेशक और प्रमुख कनिष्क चटर्जी ने कहा, "भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश और 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाए बिना पूरा नहीं किया जा सकता।" रिपोर्ट ने अर्थव्यवस्था में हुई प्रगति को स्वीकार किया है लेकिन आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करने के लिए तत्काल और निरंतर कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए, नज प्राइज टीम ने विभिन्न क्षेत्रों के पीएलएफएस डेटा का गहन विश्लेषण किया।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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