2008 के वित्तीय संकट के बाद से अभी तक के सबसे खराब कारोबारी हालातः RBI

punjabkesari.in Monday, Oct 07, 2019 - 11:12 AM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के सर्वे के मुताबिक हाल ही में समाप्त सितम्बर तिमाही में व्यावसायिक माहौल वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के बाद से सबसे ज्यादा खराब था। सर्वे मौजूदा मंदी की गंभीरता को दर्शाता है। 

वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ी कम्पनियों की ऑर्डर बुकिंग में भी 23 प्रतिशत की कमी आई और यह 2008 के वित्तीय संकट के बाद से सबसे ज्यादा गिरावट है। इसी तिमाही में आॢथक विकास 5 प्रतिशत पर पहुंच गया जो पिछले 6 सालों में सबसे निचला स्तर है। इसके चलते रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की जी.डी.पी. वृद्धि का अनुमान घटा कर 6.1 प्रतिशत कर दिया है, जबकि आर.बी.आई. का पिछला अनुमान 6.9 प्रतिशत था। 

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इसी तिमाही में कैपेसिटी यूटिलाइजेशन 73.6 प्रतिशत पर आ गई जो पिछली तिमाही में 76.1 प्रतिशत थी। इंडस्ट्रियल आऊटलुक के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में उत्पादन और रोजगार में मंदी थी।

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आर्थिक नरमी को लेकर व्यक्त की जा रही चिंताओं को केन्द्रीय मंत्री ने किया खारिज
हालांकि केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आर्थिक नरमी को लेकर व्यक्त की जा रही चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि कर रही बड़ी अर्थव्यवस्था है और वृद्धि में इस समय दिख रही गिरावट वैश्विक आर्थिक नरमी से प्रभावित है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय कार्यालय में कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था है और इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था पर बाहरी प्रभावों के असर से निपटने के लिए काम कर रही है।

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सरकार ने व्यापार और रोजगार को बढ़ाने के लिए किए 110 फैसले
जावड़ेकर ने कहा कि रिजर्व बैंक ने रेपो दर में लगातार 5वीं बार कटौती की है। इससे बैंकों का ऋण सस्ता होगा। यह व्यापार और उद्योग जगत को फायदा पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि यह 24 घंटे काम करने वाली सरकार है। सरकार ने पिछले 4 महीनों में व्यापार और रोजगार को बढ़ाने तथा अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 110 फैसले लिए। जावड़ेकर ने कहा कि इस समय निवेश सबसे प्रमुख है। उन्होंने कहा कि चीन अभी आर्थिक नरमी से गुजर रहा है। कई कम्पनियां चीन से निकलना चाह रही हैं। हमें अभी निवेश की जरूरत है और कई कम्पनियां यहां आ रही हैं।  


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jyoti choudhary

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