नई कारों से ज्यादा पुरानी कारों की बढ़ी मांग, FY26 तक 40 अरब डॉलर का बाजार बनने की उम्मीद

punjabkesari.in Monday, Mar 24, 2025 - 01:19 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः देश में पुरानी कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2025-26 में इसकी बिक्री नई कारों को भी पीछे छोड़ सकती है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ती मांग के चलते पुरानी कारों की औसत कीमतों में इजाफा हो रहा है। पिछले तीन वर्षों में इस बाजार की ग्रोथ 10-12% की दर से हो रही है और वित्त वर्ष 2026 तक यह 40 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।

नई बनाम पुरानी कारों का बाजार

फिलहाल, नई कारों का घरेलू बाजार लगभग 43 अरब डॉलर का है लेकिन पुरानी कारों की बढ़ती बिक्री इस अंतर को कम कर रही है। 2023-24 में भारत में 42 लाख नई कारें बिकी थीं, जबकि 2025-26 में यह संख्या बढ़कर 45-46 लाख तक पहुंच सकती है। दूसरी ओर पुरानी कारों की बिक्री 65-70 लाख यूनिट तक पहुंचने का अनुमान है।

इन शहरों में पुरानी कारों की मांग सबसे ज्यादा

पुरानी कारों के लोकप्रिय प्लेटफॉर्म स्पिनी के संस्थापक और सीईओ नीरज सिंह के अनुसार, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे शहरों में पुरानी कारों की बिक्री में सबसे ज्यादा तेजी देखी गई है। कॉम्पैक्ट एसयूवी (6-8 लाख रुपए कीमत वाली) की मांग तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि लोग बेहतर परफॉर्मेंस और बड़ी कार के आकर्षण की वजह से इन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं।

कीमतों में लगातार बढ़ोतरी

  • बजट कारें (3-5 लाख रुपए): कीमत में 10-12% तक वृद्धि
  • मिड-रेंज कारें (5-10 लाख रुपए): कीमत में 14-16% की बढ़त
  • प्रीमियम और SUV मॉडल: अधिक मांग और सीमित आपूर्ति के चलते कीमत 20% तक बढ़ी

स्वामित्व अवधि घटी, बढ़ी सेकेंड-हैंड कारों की बिक्री

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार मालिक अब अपनी गाड़ियों को कम समय तक रख रहे हैं, जिससे पुरानी कारों का बाजार और तेजी से बढ़ रहा है। औसतन, भारत में पुरानी कारों की बिक्री 4.5-5 लाख रुपए की कीमत पर हो रही है, जो पिछले 2-3 वर्षों में 10-15% तक बढ़ चुकी है।

उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले 7-8 वर्षों में पुरानी कारों का बाजार 12-13% की सालाना ग्रोथ दर से बढ़ेगा, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर में नए निवेश और नौकरियों के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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