टेलिकॉम के लिए सबसे बुरा दौर गुजर गया, लेकिन अभी भी सरकारी समर्थन की जरूरत: सुनील मित्तल
punjabkesari.in Tuesday, Jul 28, 2020 - 02:05 PM (IST)
नई दिल्लीः सरकार को दूरसंचार क्षेत्र की वहनीयता बनाए रखने के लिए क्षेत्र के विभिन्न शुल्कों को तर्कसंगत बनाना चाहिए और क्षेत्र के कामकाज पर बुरा असर डालने वाले लंबे समय से चले आ रहे कानूनी विवादों को बंद कर देना चाहिए। भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने यह कहा है। मित्तल ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में तीन+एक के ढांचे के साथ क्षेत्र को व्यवहार्य बनाए रखने के लिए सरकार को आगे बढ़कर विभिन्न शुल्कों को तर्कसंगत बनाना चाहिए।
भारती एयरटेल की ताजा वार्षिक रिपोर्ट में मित्तल ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि दूरसंचार उद्योग का सबसे बुरा दौर निकल चुका है लेकिन यह कहना कि क्षेत्र पूरी तरह से समस्याओं से निजात पा चुका है जल्दबाजी होगी। कंपनी की वर्ष 2019- 20 की वार्षिक रिपोर्ट में मित्तल ने कहा है, ‘‘भारत में अभी भी दुनियाभर के लिहाज से डेटा पर सबसे कम शुल्क लिया जाता है, ऐसे में उद्योग मुश्किल से ही अपनी पूंजी लागत को वसूल पाता है। दूरसंचार उद्योग को इसकी गहरे वित्तीय नुकसान की भरपाई और दूरसंचार परिचालकों को भविष्य की प्रौद्योगिकियों में निवेश करने लायक बनाने के लिए काफी समर्थन की जरूरत है।''
मित्तल ने कहा, हाल की शुल्क वृद्धि से बेशक उद्योग को कुछ सहारा मिला है लेकिन यह अभी भी उद्योग को व्यवहार्य बनाए रखने के लिहाज से काफी कम है। उन्होंने सरकार से दूरसंचार परिचालक कंपनियों की आवश्यक जरूरतों की तरफ ध्यान दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को दूरसंचार क्षेत्र के शुल्कों को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही लंबे समय से चले आ रहे कानूनी विवादों को बंद कर देना चाहिए, इन विवादों की वजह से दूरसंचार परिचालकों के प्रदर्शन को बड़ा नुकसान पहुंचता है।''
मित्तल ने कहा कि सरकार के स्तर पर तुरंत उठाए जाने वाले इन कदमों से हम तीन जमा एक ढांचे वाले व्यवहार्य उद्योग ढांचे को सुनिश्चित कर सकेंगे। यह एक अरब से अधिक भारतीयों की डिजिटल आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जरूरी है। मित्तल ने कहा कि दुनिया इस समय कोविड-19 के रूप में सामने आए अप्रत्याशित संकट के दौर से गुजर रही है। इस महामारी से अर्थव्यवस्थाओं, व्यवसायों और जीवन के तौर तरीकों सभी पर प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति से उबरने का रास्ता संभवत: लंबा होगा। ‘‘हालांकि, मुझे बड़ी उम्मीद है इस महामारी की दवा जल्द ही उपलब्ध होगी, पर दुनिया को नई परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाना होगा।''