‘GST मुआवजा समाप्ति के बाद राज्यों का राजस्व अंतर पहुंच सकता है एक लाख करोड़ रुपए के पार''

Sunday, Jan 05, 2020 - 06:50 PM (IST)

नई दिल्लीः माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत मुआवजा अवधि समाप्त होने के बाद राज्यों को एकीकृत रूप से 1.23 लाख करोड़ रुपए तक के राजस्व की कमी का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक शोध संस्थान एनआईपीएफपी की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है। 

इसमें कहा गया है कि 30 जून, 2022 को जीएसटी के तहत राज्यों के लिए उनके राजस्व नुकसान की भरपाई करने की पांच साल की अवधि समाप्त हो जाएगी। इसके बाद राज्यों को राजस्व वृद्धि के अनुरूप भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। जीएसटी का क्रियान्वयन एक जुलाई, 2017 को किया गया था। उस समय केंद्र ने राज्यों को एक सहमति वाले फॉर्मूला के तहत पांच साल तक राजस्व की संभावित वृद्धि में होने वाले नुकसान की भरपाई का वादा किया था। 

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यदि 30 जून, 2022 के बाद जीएसटी मुआवजे की व्यवस्था समाप्त हो जाती है, तो राज्यों के राजस्व में उम्मीद के अनुरूप कर प्राप्ति और आंकडे स्रोत विश्वसनीयता की यदि बात की जाए तो कुल मिलाकर 1,00,700 से 1,23,646 करोड़ रुपए के बीच कमी रह सकती है।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में राज्यों को 2022-23 में अपने मौजूदा संसाधनों से ही इतना राजस्व और जुटाना होगा या फिर अपने खर्चो में कमी करनी पड़ेगी।

जीएसटी संग्रह में कमी तथा जीएसटी मुआवजे की जरूरत और जीएसटी मुआवजा उपकर संग्रह के अंतर की वजह से केंद्र सरकार राज्यों को समय पर जीएसटी मुआवजा जारी नहीं कर पा रही है। इसको लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवाद छिड़ा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी मुआवजा वापस होने और राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी) संग्रह में कमी से पंजाब, ओड़िशा, गोवा, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक राज्यों के वित्त पर काफी प्रभाव पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, त्रिपुरा और मेघालय जैसे छोटे राज्य भी इससे प्रभावित होंगे। जीएसटी संगह में कमी और एसजीएसटी संग्रह को लेकर अनिश्चितता के बीच कई राज्यों ने 15वें वित्त आयोग से जीएसटी मुआवजे की अवधि को तीन साल बढ़ाकर 2024-25 करने का आग्रह किया है।  
 

jyoti choudhary

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