मसाला निर्यात पर मिलावट भारी

punjabkesari.in Thursday, Jun 23, 2016 - 02:15 PM (IST)

अहमदाबादः वैश्विक मसाला बाजार में भारत का 45 फीसदी हिस्सा है लेकिन मिलावट और अत्यधिक कीटनाशक से हमारे इस मुकाम पर संकट मंडरा रहा है। बहुत से आयातक देश पहले ही जीरा, मिर्च और काली मिर्च में गुणवत्ता और मिलावट की शिकायतें कर चुके हैं। इंडियन स्पाइस ऐंड फूडस्टफ एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (आईएसएफईए) के चेयरमैन भास्कर शाह ने कहा, ''अगर सरकार और उद्योग ने कड़ी कार्रवाई के जरिए कीटनाशक और मिलावट की समस्या हल नहीं की तो हम अपना बाजार खो देंगे।'' बहुत से आयातक देश पहले ही भारत को चेतावनी दे चुके हैं कि या तो वह गुणवत्ता युक्त उत्पादों का निर्यात करे और नियम कड़े अन्यथा वे आयात बंद कर देंगे। भारतीय मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2012-13 में निर्यात 25 फीसदी बढ़ा था लेकिन यह वर्ष 2014-15 में महज 9 फीसदी ही बढ़ा। 

 

भारतीय मसाला बोर्ड के चेयरमैन ए जयतिलक ने कहा, ''यह सही है कि खाद्य उद्योग और व्यापार बाजार पर मिलावट और कीटनाशक के मसले का असर पड़ रहा है। सभी आयातक देशों के अपने सख्त कड़े खाद्य कानून और नियमन हैं ताकि वे अपने नागरिकों की सुरक्षा और सेहत सुनिश्चित कर सकें। इसलिए निर्यातकों को इन नियमों का पालन करना चाहिए।'' वह कहते हैं कि हमारे मसालों की अच्छी गुणवत्ता के चलते इनकी लगातार मांग आ रही है। भारत आयातक देशों की शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई कर अपनी साख बनाए रखने में सफल रहा है। विशेष रूप से अमेरिका, यूरोप और जापान में आयातित मसालों पर नियामकीय नियंत्रण कड़े हो गए हैं। ये नियम सभी मसाला निर्यातक देशों पर लागू हैं और इस क्षेेत्र में भारत सबसे बड़ा निर्यातक है। 

 

जयतिलक ने कहा, ''हर देश में आयातित उत्पादों के लिए खाद्य मानक, दिशानिर्देश अलग-अलग हैं, इसलिए भारतीय निर्यातकों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है।'' बोर्ड का कहना है कि उसने उन 7 जगहों पर आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं, जहां से माल का निर्यात होता है। वहीं, बोर्ड ने मसालों की अनिवार्य जांच का कार्यक्रम भी शुरू किया है, जो कीटनाशकों के अवशेष, माइकोटॉक्सिन और अवैध डाइ जैसे खाद्य सुरक्षा से संबंंधित मसलों को हल करता है। बोर्ड की मुंबई स्थित प्रयोगशाला में कीटनाशक अवशेष एवं माइक्रोबायोलॉजिकल मिलावट के विश्लेषण के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जा रहा है। 

 

उद्योग का मानना है कि इस दिशा में उद्योग से ज्यादा सरकार को कदम उठाने की जरूरत है। स्पाइक्जिम के प्रबंध निदेशक योगेश मेहता ने कहा, ''मिलावट और कीटनाशक सबसे बड़ी चिंताएं हैं। अब तक आयातक देशों ने नियम कड़े करने के अलावा भारत के खिलाफ कोई बड़े कदम नहीं उठाए हैं। अगर हम गुणवत्तायुक्त उत्पादों की  आपूर्ति नहीं करेंगे तो निर्यात पर असर पड़ेगा।'' इस समस्या का समाधान निकालने के लिए हाल में कारोबारियों और निर्यातकों की बैठक हुई थी। मसालों में कीटनाशक की समस्या कम करने के लिए उद्योग ने किसानों को सहयोग देने और उन्हें शिक्षित करने के लिए वैज्ञानिकों को नियुक्त करने की योजना बनाई है। 


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