अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेत, बैंकों के कर्ज में छोटे कर्जधारकों की संख्या बढ़नी शुरू

punjabkesari.in Thursday, Jun 01, 2023 - 04:07 PM (IST)

बिजनेस डेस्क: बैंक आफ बड़ौदा के एग्जिक्यूटिव डायरैक्टर अजय खुराना ने कहा है कि ब्याज दरों में स्थिरता और महंगाई के काबू आने का असर अब बैंकों के रिटेल लोन पर नजर आना शुरू हो गया है और इस वित्त वर्ष के पहले 2 महीनों में बैंक आफ बड़ौदा द्वारा दिए गए कुल कर्ज में से रिटेल लोन की हिस्सेदारी बढ़ी है। पंजाब केसरी के संवाददाता नरेश कुमार के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने बैंक आफ बड़ौदा की मौजूदा वित्तीय स्थिति के अलावा देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम को लेकर भी विस्तार सेे बताया।  

प्रश्न : दुनिया के बड़े देशों में बैंकिंग सिस्टम पर खतरा मंडरा रहा है। भारतीय बैंकिंग सिस्टम की सेहत को आप किस तरह से देखते हैं?
उत्तर : यह सही है कि हाल ही में अमरीका में बैंकों की स्थिति खराब हुई है और कई बैंक दिवालिया हुए हैं। यही हालत स्विट्जरलैंड के बैंकों की भी हुई है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है लेकिन जहां तक भारतीय बैंकिंग व्यवस्था का प्रश्न है तो विदेशी बैंकों के डूबने का भारतीय बैंकों पर कोई असर नहीं है। भारतीय बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष में 15 फीसदी से ज्यादा की शानदार ग्रोथ दर्ज की है और हमारे बैंकों का एन.पी.ए. भी 15 से कम होकर 5 प्रतिशत के करीब आ गया है। इससे साबित होता है कि देश की बैंकिंग व्यवस्था दुनिया में चल रहे संकट के बावजूद मजबूत है और इसमें सरकार की नीतियों के अलावा आर.बी.आई. की गाइडलाइंस का भी बड़ा योगदान है।

प्रश्न : यदि बैंकिंग व्यवस्था मजबूत है तो आर.बी.आई. बैंकों को सावधानी से काम लेने की सलाह क्यों दे रहा है?
उत्तर : आर.बी.आई. ने बैंकों की वित्तीय सेहत को मजबूत रखने के लिए हाल ही में सरकारी सैक्टर के बैंकों के अलावा प्राइवेट बैंकों के साथ भी मीटिंग की है। देश के बैंकिंग सिस्टम की मजबूती को कायम रखने के लिए ही आर.बी.आई. ने बैंकों को सलाह दी है।
सामान्य तौर पर हम गलती उसी समय करते हैं जब सब कुछ अच्छा चल रहा होता है। आर.बी.आई. ने बैंकों को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए ही उन्हें सावधानी के साथ काम करने और कंप्लायंस को मजबूत बनाने की सलाह दी है ताकि व्यवस्था में यदि कोई कमी हो तो उसे कंप्लायंस के जरिए सुधारा जा सके और बैंकों की वित्तीय हालत और ज्यादा मजबूत हो सके।

प्रश्न : क्या बैंकों की ब्याज दरों में कमी की कोई योजना है?
उत्तर: बैंक आफ बड़ौदा ने अन्य बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा के चलते होम और कार लोन की दरों में मामूली कमी की है लेकिन बड़े स्तर पर ब्याज दरों में कमी आर.बी.आई. द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद ही हो सकती है क्योंकि रेपो रेट ज्यादा होने के कारण बैंकों का कोस्ट ऑफ फंड काफी ज्यादा है और इसमें कमी के बाद ही ब्याज दरों में कमी की गुंजाइश है।

प्रश्न: नए वित्त वर्ष में क्या रिटेल लोन की भागीदारी बढ़ी है?
उत्तर : फिलहाल सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर के चलाए जा रहे प्रोजैक्ट्स को लेकर ही बैंकों के पास कर्ज की ज्यादा मांग है लेकिन पिछले 2 महीने में हमने देखा है कि सामान्य लोग भी कर्ज ले रहे हैं और होम लोन के रिटेल कर्ज में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है। यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि इससे पहले ब्याज दरों में हो रही वृद्धि के कारण रिटेल कर्ज लेने वाले ग्राहकों की संख्या में गिरावट आई थी। अब महंगाई के काबू आने और ब्याज दरों में स्थिरता के बाद रिटेल लोन लेने वाले लोगों का भरोसा लौट रहा है। बैंकों को भी अब ब्याज दरों में स्थिरता नजर आ रही है और अगले कुछ महीनों में ब्याज दरों में कमी की उम्मीद है। इससे पहले महंगाई की दर आर.बी.आई. के निर्धारित लक्ष्य से बाहर जाने के कारण एक से डेढ़ वर्ष में ही ब्याज दरें करीब 3 प्रतिशत बढ़ी हैं और अब इनके कम होने का समय आने वाला है।

प्रश्न : बैंक आफ बड़ौदा का इस वित्त वर्ष का लक्ष्य क्या है?
उत्तर : पिछले वित्त वर्ष के दौरान बैंक आफ बड़ौदा ने 14,110 करोड़ रुपए का शानदार मुनाफा दर्ज किया है और यह बैंक के अब तक के इतिहास का सबसे ज्यादा मुनाफा है। पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में बैंक का मुनाफा 4775 करोड़ रुपए रहा है।जहां एक तरफ देश के बैंकिंग सैक्टर का मुनाफा करीब 15 फीसदी रहा, वहीं इस दौरान बैंक आफ बड़ौदा ने 17 फीसदी मुनाफा दर्ज किया है। इस वित्त वर्ष के दौरान भी बैंक का लक्ष्य इस रफ्तार को कायम रखने और डबल डिजिट ग्रोथ करने का है।

प्रश्न : देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को आप किस तरह से देखते हैं?
उत्तर: देश की अर्थव्यवस्था इस समय काफी अच्छी है। यदि हम पूरी दुनिया के साथ तुलना करें तो इस समय भारत की जी.डी.पी. छह-साढ़े छह फीसदी की दर से बढ़ रही है। एक तरफ जहां पूरी दुनिया महंगाई सहित अर्थव्यवस्था से जुड़ी तमाम चुनौतियों से जूझ रही है। वहीं भारत में ग्रोथ की रफ्तार तेजी पकड़ रही है। महंगाई में आ रही कमी के बाद अब हम आने वाले कुछ क्वार्टर में अर्थव्यवस्था में और तेजी की उम्मीद कर सकते हैं।

अर्थव्यवस्था में 3.62 लाख करोड़ रुपए की कीमत के 2000 रुपए के करंसी नोट मौजूद
 खुराना ने कहा है कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने 2000 रुपए के करंसी नोट को 30 सितम्बर के बाद बंद करने का फैसला किया है। फिलहाल अर्थव्यवस्था में 3.62 लाख करोड़ रुपए की कीमत के 2000 रुपए के करंसी नोट मौजूद हैं लेकिन इन्हें बदलवाने के लिए लोगों के पास 4 महीने का पर्याप्त समय है। लिहाजा बैंकों में 2016 की नोटबंदी की तरह मारा-मारी नहीं है क्योंकि अर्थव्यवस्था में अन्य करंसी नोट पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं।  


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Content Editor

rajesh kumar

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