SEBI ने IPO के लिए खुलासा नियमों को सख्त किया, कई नियमों में बदलावों को मंजूरी

Saturday, Oct 01, 2022 - 01:03 PM (IST)

मुंबईः भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए खुलासा जरूरतों को कड़ा करने समेत कई नियमों में बदलावों को मंजूरी दी है। सेबी के अनुसार, निर्गम लाने वाली कंपनी के लिए पिछले लेनदेन और कोष जुटाने की गतिविधियों के आधार पर प्रस्ताव मूल्य का खुलासा करना अनिवार्य है। सेबी के निदेशक मंडल ने शुक्रवार को यहां हुई बैठक में आईपीओ के लिए शुरुआती दस्तावेज जमा करने पर विचार कर रही कंपनियों को गोपनीय तरीके से नियामकीय सूचना देने की अनुमति देकर एक वैकल्पिक तंत्र शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। 

बाजार नियामक ने शेयर बिक्री की पेशकश (ओएफएस) के ढांचे में अधिक लचीलापन लाने के लिए बड़े बदलाव करने का भी फैसला किया है। इसमें गैर-प्रवर्तक शेयरधारकों के लिए न्यूनतम शेयरधारिता की आवश्यकता को समाप्त करना शामिल है। वर्तमान में किसी कंपनी में कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी और 25 करोड़ रुपए के शेयरों की पेशकश करने वाले इच्छुक गैर-प्रवर्तक शेयरधारक ओएफएस के ढांचे में भाग लेने के पात्र हैं। इसके अलावा पूंजी बाजार नियामक निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए म्यूचुअल फंड यूनिट में भी खरीद-फरोख्त के लिए द्वि-स्तरीय सत्यापन की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला किया है। 

सेबी ने कहा कि इस संबंध में नया मसौदा अगले साल एक अप्रैल से लागू किया जाएगा। वर्तमान में सभी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को ऑनलाइन लेनदेन के लिए द्वि-स्तरीय सत्यापन और ऑफलाइन लेनदेन के लिए हस्ताक्षर लेकर निकासी लेनदेन का सत्यापन करना होता है। सेबी ने कहा, ‘‘अब यह तय किया गया है कि म्यूचुअल फंड की यूनिट में खरीद के लेनदेन में भी दो प्रकार से सत्यापन का विस्तार किया जाएगा।'' 

बाजार नियामक ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश के संबंध में खुली पेशकशों के लिए मूल्य तय करने वाले नियमों में ढील देने का भी निर्णय किया है। इसके अलावा सेबी सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों की बिक्री करने वाले ऑनलाइन बांड मंचो के प्रदाताओं की सुविधा के लिए एक नियामक नियामकीय रूपरेखा पेश करेगा। ढांचे के तहत, ऐसे मंचो को सेबी के साथ स्टॉक ब्रोकर (ऋण खंड) के रूप में पंजीकृत या सेबी पंजीकृत ब्रोकर द्वारा चलाया जाना चाहिए। 

बैठक में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा उद्योग के वर्गीकरण के लिए मानकीकृत ढांचे के कार्यान्वयन के लिए समय सीमा दो महीने बढ़ाकर 30 नवंबर करना का भी फैसला किया गया है। यह ढांचा रेटिंग अभ्यास और अनुसंधान गतिविधियों के लिए है और इसकी समयसीमा शुक्रवार को ही खत्म होने वाली थी। सेबी ने कंपनियों के निदेशक मंडल से स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति और हटाने के लिए एक नए विकल्प की शुरूआत को भी मंजूरी दे दी है। यह कदम स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति या हटाने के लिए अनुमोदन प्रक्रिया में लचीलापन प्रदान करेगा।

jyoti choudhary

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