बढ़ सकती हैं SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच की मुश्किलें, कंसल्टेंसी फर्म के जरिए राजस्व कमाने का आरोप!
punjabkesari.in Friday, Aug 16, 2024 - 06:21 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी (SEBI) की प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिनसे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सार्वजनिक दस्तावेजों से पता चलता है कि बुच ने अपने सात साल के कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेंसी फर्म से राजस्व अर्जित किया, जो नियामक अधिकारियों के लिए बने नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप
हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुच पर अडानी ग्रुप से जुड़े मामलों में हितों के टकराव का आरोप लगाया है। इस रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया कि अडानी ग्रुप की जांच के दौरान बुच के पिछले निवेशों के कारण उनके निर्णय प्रभावित हो सकते थे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बुच ने आरोपों को 'चरित्र हनन' करार दिया और हितों के टकराव के दावों को खारिज कर दिया।
बुच की कंसल्टेंसी फर्म और नियमों का उल्लंघन
बुच की अगोरा एडवाइजरी नामक कंसल्टेंसी फर्म, जिसमें उनकी 99% हिस्सेदारी है, ने 2017 से 2022 तक 3.71 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया। यह राजस्व सेबी के 2008 की नीति का उल्लंघन हो सकता है, जो अधिकारियों को व्यवसायिक लाभ कमाने से रोकती है। हालाँकि, बुच ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने पति के लिए यह फर्म बनाई थी, जिन्होंने 2019 में यूनिलीवर से सेवानिवृत्ति के बाद इस फर्म का उपयोग किया।
गंभीर आचरण उल्लंघन
पूर्व वित्त सचिव और सेबी बोर्ड के सदस्य सुभाष चंद्र गर्ग ने इस मामले को आचरण का "बहुत गंभीर" उल्लंघन बताया है। उनके अनुसार, सेबी बोर्ड में शामिल होने के बाद बुच का फर्म में हिस्सा बनाए रखना गलत था। इसके बावजूद बुच ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्हें इस फर्म में हिस्सेदारी रखने की छूट मिली थी या नहीं।
अडानी ग्रुप से कोई संबंध नहीं
सूत्रों के अनुसार, ऐसा कोई संकेत नहीं मिला कि इस कंसल्टेंसी फर्म के राजस्व का अडानी ग्रुप से कोई संबंध था। हालांकि, बुच पर लगे आरोपों ने सेबी की छवि को प्रभावित किया है। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि सेबी प्रमुख के इस विवादास्पद मामले ने भारतीय शेयर बाजार नियामक की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप आगे और जांच हो सकती है।